scriptसर्वपितृ अमावस्या 6 अक्टूबर को, 100 साल बाद सर्वार्थसिद्धि योग | Sarvapitri Amavasya on 6th October, after 100 years Sarvarthasiddhi Yo | Patrika News

सर्वपितृ अमावस्या 6 अक्टूबर को, 100 साल बाद सर्वार्थसिद्धि योग

locationअजमेरPublished: Sep 28, 2021 06:53:25 pm

Submitted by:

Narendra

पितरों का आशीर्वाद मिलने के साथ ही प्रगति और वैभव की विशेष वृद्धि होगी

Sarva Pritri Amavasya 2019: Pitra Dosh Easy Remedies

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पितृ पक्ष में सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व है, छह अक्टूबर को अमावस्या सर्वार्थसिद्धि योग, ब्रह्मयोग सहित अन्य योग संयोगों में मनाई जाएगी। इस दिन पितृपक्ष यानि श्राद्ध पक्ष भी खत्म होगा, वहीं इसके अगले दिन से शारदीय नवरात्र की शुरुआत भी होगी।
सर्वपितृ अमावस्या को मोक्षदायिनी अमावस्या भी कहा जाता है। सर्वपितृ अमावस्या तिथि पांच अक्टूबर को शाम 7.05 बजे से छह अक्टूबर को शाम 4.35 बजे तक रहेगी। 100 साल बाद सर्वार्थसिद्धि योग में अमावस्या रहेगी, इस दिन श्राद्ध निकालने से पितरों का आशीर्वाद मिलने के साथ ही प्रगति और वैभव की विशेष वृद्धि होगी। सूर्य, मंगल, बुध और चंद्रमा के कन्या राशि में विराजमान होने से चतुग्र्रही योग भी बनेगा।
इंदिरा एकादशी दो अक्टूबर को : पापों के सर्वनाश के लिए इंंदिरा एकादशी का व्रत दो अक्टूबर को रहेगा। एकादशी का व्रत करने से पितरों को मोक्ष प्राप्ति का विधान शास्त्रों में बताया गया है। इस दौरान मंदिरों में विशेष झांकियां सजाई जाएगी। साथ ही भगवान विष्णु की आराधाना की जाएगी। विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ करना विशेष फलदायी रहेगा। सोम प्रदोष चार अक्टूबर को रहेगा। भोलेनाथ की आराधना और सुख समृद्धि के लिए मंदिरों में भोलेनाथ के समक्ष फूल बंगला झांकी सजाई जाएगी।
अमावस्या का महत्व

सर्वपितृ (अर्थात सभी पितरों को) अमावस्या के दिन सभी पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाना शास्त्र सम्मत है। दिन ज्ञात, अज्ञात सभी पितरों के श्राद्ध का विधान है यानि जिन लोगों को अपने परिजनों की मृत्यु की तिथि याद ना हो वो भी इस दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण कर पित्तरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इस मौके पर विभिन्न जगहों पर पौधरोपण, आत्म शांति के लिए तर्पण किया जाएगा। सुबह से दान पुण्य का दौर जारी रहेगा। गलता तीर्थ सहित अन्य जगहों पर भक्त आस्था की डुबकी नहीं लगा सकेंगे।
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