वन विभाग ने शुरू की मॉनिटरिंग रणथम्भौर से बाघ के रामगढ़ पहुंचने के बाद वन विभाग अलर्ट मोड पर है। वन विभाग की ओर से बाघ की लगातार मॉनिटरिंग कराई जा रही है। इसके लिए विभिन्न स्थानों पर 11 फोटो ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं। इनमें से एक में बाघ की फोटो कैद हो गई है।
जनवरी से ही रणथम्भौर से बाहर था बाघ
जनवरी से ही रणथम्भौर से बाहर था बाघ
बाघ टी-115 का मूवमेंट रणथम्भौर की फलौदी रेंज जोन दस में रहता था, लेकिन बाद में इलाके में बाघों की संख्या में इजाफा होने के कारण नई टेरेटरी की तलाश में बाघ टी-115 ने बूंदी के जंगलोंं की ओर रुख कर लिया। यह बाघ जनवरी माह में रणथम्भौर के क्वांल जी वन क्षेत्र से बाहर निकलकर बूंदी की ओर चला गया था। फरवरी माह में बाघ ने चंबल नदी के किनारे बीहड़ों को अपनी शरण स्थली बना लिया था। यहां यह बाघ करीब डेढ़ माह से अधिक समय तक रहा था। इसके बाद बाघ का रुख बांस खोह के जंगलों की ओर हो गया था और अब बाघ बूंदी के रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में विचरण कर रहा है।
टी-110 दे सकता है रामगढ़ में दस्तक
टी-110 दे सकता है रामगढ़ में दस्तक
वनाधिकारियों ने बताया कि रणथम्भौर का बाघ टी-110 भी करीब दस माह से अधिक समय से रणथम्भौर से बाहर है। आखिरी बार करीब दस माह पूर्व बाघ टी-110 के रणथम्भौर बाघ परियोजना के बफर जोन में वन विभाग की टीम को बाघ के पगमार्क मिले थे। इसके बाद सखावदा वन क्षेत्र में भी वन विभाग को बाघ के पगमार्क मिले थे। वर्तमान में बाघ खरायता के जंगलों में मेज नदी के बीहड़ों में पिछले छह माह से अपनी टेरेटरी बनाकर रह रहा है। अभी खरायता में जिस क्षेत्र में बाघ का मूवमेंट है। वह जगह बूंदी के रामगढ़ विषधारी अभयारण्य से महज 20 किमी ही दूर है। ऐसे में टी-110 भी जल्द ही रामगढ़ में दस्तक दे सकता है।
वनाधिकारी कर रहे थे इंतजार
वनाधिकारी कर रहे थे इंतजार
एनटीसीए ने रणथम्भौर से छह बाघों को शिफ्ट करने की अनुमति दी थी। इनमें रामगढ़ में भी एक बाघ-बाघिन शिफ्ट किए जाने थे, लेकिन टी-110 व टी-115 के लंबे समय से रणथम्भौर से बाहर होने और उनका रुख रामगढ़ की ओर होने से वन विभाग के अधिकारी भी बाघ का पूर्व की भांति स्वयं रामगढ़ पहुंचने का इंतजार कर रहे थे।
दो साल बाद पहुंचा बाघ (Tiger)
दो साल बाद पहुंचा बाघ (Tiger)
रामगढ़ अभयारण्य में करीब दो साल बाद एक बार फिर से (Tiger) बाघ ने दस्तक दी है। करीब दो साल पहले रणथम्भौर से टी-91 यहां पहुंचा था और कई माह तक यहां रहा था। बाद में टी-91 को कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (mukundra tiger reserve) में शिफ्ट कर दिया गया था। इससे पहले टी-62 भी यहां पहुंचा था।
इनका कहना है…
इनका कहना है…
रणथम्भौर से निकलकर टी-115 बंूदी के रामगढ़ पहुंच गया है। टी-110 भी रामगढ़ के समीप ही है।
मुकेश सैनी, उपवन संरक्षक, रणथम्भौर बाघ परियोजना, Sawiamadhopur
मुकेश सैनी, उपवन संरक्षक, रणथम्भौर बाघ परियोजना, Sawiamadhopur