विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष ऑनलाइन प्रॉस्पेक्ट्स अपलोड करता है। इसमें एससी-एसटी, अल्पसंख्यक और अन्य श्रेणियों के विद्यार्थियों की छात्रवृत्तियों, मेरिट कम मीन्स छात्रवृत्ति, फैलोशिप, प्रोफेशनल फेकल्टी फंड और अन्य छात्रवृत्तियों का जिक्र होता है। एकल पुत्री छात्रवृत्ति योजना का कहीं जिक्र नहीं किया जाता है। जबकि विश्वविद्यालय के विभिन्न कोर्स में छात्राएं पढ़ाई कर रह हैं।
छात्रवृत्ति योजना को लेकर विश्वविद्यालय अव्वल दर्जे का लापरवाह है। 13 साल में किसी पात्र छात्रा को स्कॉलरशिप देने की सूचना भी उपलब्ध नहीं है। प्रवेश नियम और प्रॉस्पेक्ट्स में जिक्र नहीं होना विश्वविद्यालय की उदासीनता दर्शाता है। ऐसा तब है जबकि प्रवेश समिति और अधिकारियों की निगरानी में प्रोस्पेक्टस तैयार किया जाता है।
उदयपुर के एमएल सुखाडिय़ा, जोधपुर के जयनारायण व्यास, जयपुर के राजस्थान विश्वविद्यालय, सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय जैसे बड़े कॉलेज की तुलना में 10 से 15 हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं। यहां छात्राओं की संख्या भी चार-पांच हजार तक पहुंच चुकी है। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में महज 1100-1200 विद्यार्थी पढ़ते हैं।