स्टेट नोडल ऑफिसर डॉ. सिंह के अनुसार बघेरा स्थित ऋषभ देव ऑयल मिल के मालिक ज्ञानचंद सिंहल के यहां नियमानुसार फूड हैंडलर्स के मेडिकल भी नहीं करवाए हुए थे। परिसर में कबूतर व अन्य पक्षी उड़ रहे थे। फर्श कई जगह से उखड़ा था। अनहाइजैनिक अवस्था में सरसों के तेल का निर्माण हो रहा था। फीड सेफ्टी डिस्प्ले बोर्ड भी नहीं लगा हुआ था। बिना फूड लाइसेंस के फैक्ट्री संचालित हो रही थी। तेल निकालने के लिए प्रोसेस में काम लिए जा रहे पानी की जांच रिपोर्ट भी नहीं थी। सरसों के तेल को बिना जांच किए बेचा जा रहा था। नियमानुसार निर्माता को स्वयं की प्रयोगशाला या अधिकृत प्रयोगशाला से आउटसोर्सिंग के जरिए जांच के बाद ही खाद्य पदार्थ बेचा जाना चाहिए। यहां दोनों का ही अभाव था। फूड लाइसेंस भी मात्र सरसों के तेल की मैन्युफैक्चरिंग के लिए ही आवेदन किया हुआ था, जबकि अन्य खाद्य पदार्थ की ट्रेडिंग भी की जा रही थी, जो कि बिना लाइसेंस ट्रेडिंग की श्रेणी में आता है। बिना खाद्य अनुज्ञा पत्र प्राप्त कर खाद्य पदार्थ का व्यापार करने के कारण धारा 31 (1) के उल्लंघन के कारण फैक्ट्री सीज की गई तथा संबंधित कमियों को लेकर नोटिस दिया गया।
सेम्पल लेकर सीज की कार्रवाई मौके से तैयार तेल का नमूना एक्ट के तहत जांच के लिए लिया गया। वहीं 30 टन सरसों का तेल एवं करीब 49 हजार किग्रा चने की दाल सीज की गई। निरीक्षण के दौरान 50 से अधिक किसी भी फूड हैंडलर्स का मेडिकल रिकॉर्ड नहीं था, लैब में जांच का रिकॉर्ड संधारित नहीं किया जा रहा था। 18 तरह के कैमिकल काफी पुराने रखे थे, जिन्हें नष्ट करवाया गया। इन्स्ट्रीमेंट का कैलिब्रेशन नहीं था।
ऑयल मिल में भी कार्रवाई डॉ. सिंह के अनुसार केकड़ी में इंडस्ट्रीयल एरिया स्थित एक ऑयल फैक्ट्री का निरीक्षण किया। यहां से तीन सेम्पल लेकर 12500 लीटर सरसों एवं मूंगफली का तेज सीज किया। इस तरह पाई गई कमियों के लिए धारा 32 के तहत अलग से नोटिस दिए गए।