शहर में कुछ निजी क्लिनिक व अस्पतालों में दवा काउंटर पर कंपनी विशेष की दवा उपलब्ध होती है। अगर मरीज ने दवा क्लिनिक/अस्पताल से नहीं ली तो पूरे शहर में घूमने के बावजूद उसे नहीं मिल पाती। मरीजों के परिजन ने बताया कि वे सिर्फ दवा लेने के लिए पांच से 7 किलोमीटर दूर से वापस वहीं आते हैं। शहर में अस्थि रोग से जुड़े एक अस्पताल की दवा की दर तो कई जरूरतमंदों के बूते से बाहर है। दूसरी बात यह कि संबंधित चिकित्सक द्वारा लिखी दवा, मरहम (ट्यूब) अन्य जगह उपलब्ध ही नहीं होती।
मनमर्जी की रेट, मिलती हैं शिकायतें मरीजों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि बाजार की मेडिकल दुकानों से काफी अधिक रेट पर यहां दवाइयां दी जाती हैं। एमआरपी का खेल भी मिलीभगत से चल रहा है।
यहां चल रहे निजी क्लिनिक/अस्पतालों में दवा काउंटर शास्त्रीनगर स्थित एक निजी अस्पताल में दवा काउंटर संचालित हैं। यहां पूूर्व में एक्सपायरी डेट की ग्लूकॉज चढ़ाने का मामला भी सामने आया था। हरिभाऊ उपाध्याय नगर स्थित अस्पताल में दवा की दुकान संचालित हैं। यहां चिकित्सक की लिखी हड्ड़ी रोग संबंधी दवा अन्य जगह नहीं मिलने की शिकायत मिली हैं। वैशाली नगर स्थित एक निजी अस्पताल में भी दवा अंदर ही स्थित मेडिकल स्टोर से दी जाती है। पुष्कर रोड स्थित निजी अस्पताल, पंचशील स्थित निजी अस्पताल, ब्यावर रोड स्थित निजी अस्पताल, कचहरी रोड स्थित अस्पतालों में भी मरीजों को दवा यहीं की लिखी जाती हैं।
इन मेडिकल स्टोर का नहीं होता औचक निरीक्षण निजी अस्पतालों में चलने वाले मेडिकल स्टोर का औचक निरीक्षण नहीं होने, स्टॉक की जांच नहीं होने से इनकी मनमानी पर किसी भी तरह से अंकुश नहीं लग पा रहा।
इनका कहना है निजी अस्पताल/क्लिनिक में अगर फार्मासिस्ट है तो वहां मेडिकल स्टोर खोल सकता है। अगर कोई एमआरपी से अधिक रेट वसूल कर रहा है तो कार्रवाई की जाएगी। डॉ.के.के.सोनी
सीएमएचओ अजमेर
निजी क्लिनिक/अस्पताल में अगर कोई खुद की ब्राण्ड की दवा लिख कर मरीजों को गुमराह कर रहे हैं तो कार्रवाई की जाएगी। कोई भी दवा ऐसी नहीं है जो सब जगह नहीं मिल सकती। सस्ती एवं जैनरिक दवाइयां उपलब्ध हैं।
नरेन्द्र रैगर, सहायक औषधि नियंत्रक