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shamefull: भाई साहब यहां चलता है सिर्फ कैश, जेब में रखिए आपके कार्ड

locationअजमेरPublished: Nov 24, 2018 03:33:35 pm

Submitted by:

raktim tiwari

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Cashless economy in institutes

Cashless economy in institutes

अजमेर. कैशलेस और डिजिटल पेमेन्ट की तरफ कदम कॉलेज और विश्वविद्यालयों के कदम पूरी तरह नहीं बढ़े हैं। अब तक कई कार्यों में रुपए का लेन-देन जारी है। इनमें कैंटीन सहित अन्य भुगतान शामिल हैं।
साल 2016 में केंद्र सरकार की नोटबंदी के बाद सभी संस्थाओं ने कैशलेस और ई-पेमेन्ट को बढ़ावा दिया है। यूजीसी ने सभी कॉलेज और विश्वविद्यालयों को कैशलेस व्यवस्था की शुरुआत करने के निर्देश दिए थे। इसके तहत विद्यार्थियों की सालाना फीस, परीक्षा शुल्क, कर्मचारियों-श्रमिकों के दैनिक भुगतान शामिल हैं। साथ ही कैंटीन और छात्रावास से जुड़े भुगतान भी ऑनलाइन या डिजिटल प्रक्रिया से होने हैं।
कैंटीन में चलते रुपए
यूजीसी ने कैंटीन संचालकों को भीम एप से जोडऩे, उनके खाते आधार और मोबाइल से जोडऩे को कहा। मगर अनुपालना नहीं हुई है। सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय, दयानंद कॉलेज, राजकीय कन्या महाविद्यालय, महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय सहित बॉयज और महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में कैंटीन में रोकड़ भुगतान होता हैं। यहां पेटीएम अथवा डेबिट/क्रेडिट कार्ड से भुगतान की सुविधा शुरू नहीं हुई है।
काउन्टर नहीं कैशलेस

विश्वविद्यालय ने महाराणा प्रताप भवन में काउन्टर बना रखा है। यहां अंकतालिका, माइग्रेशन सर्टिफिकेट, डिग्री और अन्य दस्तावेज के लिए विद्यार्थियों से कैश लिया जा रहा है। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने अपने कैश काउन्टर पर स्वाइप मशीन लगा दी है। सीबीएसई ने भी कैशलेस व्यवस्था को बढ़ावा दिया है। विवि में क्रेडिट-डेबिट कार्ड अथवा एटीएम से दस्तावेजों का शुल्क जमा कराने की सुविधा नहीं है।
डेबिट-क्रेडिट कार्ड से फीस कब?
कॉलेज और विश्वविद्यालय में डिमांड ड्राफ्ट या ई-मित्र के जरिए परीक्षा और प्रवेश शुल्क लिया जा रहा है। विद्यार्थियों को अब तक डेबिट-क्रेडिट कार्ड से फीस भुगतान की सुविधा नहीं मिली है। जबकि पीटीईटी, बीएसटीसी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में यह सुविधा शुरू हो चुकी है।

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