वन विभाग जिले में वन्य जीवों की प्रतिवर्ष गणना कराता है। वन्य क्षेत्र में कमी, बढ़ती आबादी, अवैध खनन, पर्यावरण में बदलाव के चलते साल दर साल कई वन्य जीवों की संख्या घटती जा रही है। कई प्रमुख वन्य जीव तो जिले से विलुप्त हो चुके हैं।
बचे हुए वन्य जीवों पर भी जबरदस्त खतरा मंडरा रहा है। वन विभाग, पर्यावरण विशेषज्ञों, गैर सरकारी संगठनों और सरकार के प्रयास जारी हैं, लेकिन इसमें कामयाबी ज्यादा हासिल नहीं हुई है। वन विभाग ने इस बार भी गणना कराई है। यद्यपि विभाग ने अधिकृत आंकड़े अभी जारी नहीं किए हैं, पर कई वन्य जीवों की कई प्रजातियों पर खतरा मंडराया हुआ है।
अब इन्हें देखें सिर्फ तस्वीरों में
बाघ, चिंकारा, चीतल, सारस, मछुआरा बिल्ली, गिद्ध, उडऩ गिलहरी, काला हरिण, जंगली मुर्गा, चौसिंगा (विलुप्त) जिले में मौजूद वन्य जीव
नीलगाय (रोझड़ा)-3 हजार, लंगूर-1 हजार , पैंगोलिन नेवला-200, जंगली सूअर-100, मोर-3 हजार, सियार-गीदड़-450
बाघ, चिंकारा, चीतल, सारस, मछुआरा बिल्ली, गिद्ध, उडऩ गिलहरी, काला हरिण, जंगली मुर्गा, चौसिंगा (विलुप्त) जिले में मौजूद वन्य जीव
नीलगाय (रोझड़ा)-3 हजार, लंगूर-1 हजार , पैंगोलिन नेवला-200, जंगली सूअर-100, मोर-3 हजार, सियार-गीदड़-450
गणना में पांच साल बाद दिखा पैंथर
वन विभाग की गणना में पांच साल में पहली बार जिले में पैंथर नजर आया। राजगढ़ इलाके में शावक के साथ मादा पैंथर दिखी। कुंडाल में भी पैंथर को चिन्हित किया गया।
वन विभाग की गणना में पांच साल में पहली बार जिले में पैंथर नजर आया। राजगढ़ इलाके में शावक के साथ मादा पैंथर दिखी। कुंडाल में भी पैंथर को चिन्हित किया गया।