डायबिटीज़ रोग से बचाव के लिए तनाव से दूरी बनाएं। किसी भी तनाव उत्पन्न करने वाली स्थिति से अपना संतुलन बनाए रखें तथा हमेशा
ध्यान रहें कि बिना तनाव के बेहतर समाधान निकाले जा सकते हैं। हंसते रहें, घूमें,
योग प्राणायाम करें।
विश्व डायबिटीज़ दिवस के अवसर आयोजित चर्चा में मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर
अजमेर के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. दीपक सोगानी ने यह विचार रखे। उन्होंने कहा कि घर-परिवार में डायबिटीज़ की रोकथाम और प्रभावी प्रबंधन के लिए महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। क्योंकि वह परिवार की पौष्टिकता और जीवनशैली आदतों की देखभाल करती हैं।
महिलाओं में मृत्यु का नौवां प्रमुख कारण डायबिटीज़ दिवस मनाने की सार्थकता इसी में है कि हर घर में महिलाओं को जागरूक किया जाए और उन्हें स्वयं के स्वास्थ्य के प्रति भी सजगहोने के लिए समय निकालने को कहा जाए। यह विडम्बना ही है कि डायबिटीज़ से पीडि़त महिलाओं की संख्या पूरी दुनिया में 60 मिलियन से अधिक है। देश में 50 मिलियन लोग डायबिटीज़ से पीडि़त हैं। डायबिटीज़ से पीडि़त पांच में से हर दो महिलाएं प्रजनन आयु की ही होती हैं। डायबिटीज़ महिलाओं में मृत्यु का नौवां प्रमुख कारण बन गया है।
60 प्रतिशत की मृत्यु हृदयाघात से वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विवेक माथुर ने बताया कि देश में डायबिटीज़ पीडि़तों में 60 प्रतिशत की मृत्यु तो दिल का दौरा पडऩे से हो जाती है। डॉ. माथुर ने कहा कि अनियंत्रित उच्च रक्त शर्करा से अनेक गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं जैसे हृदय रोग, अंधता, और गुर्दे की विफलता को विकसित करने का जोखिम होता है।
‘नियमित चैकअप जरूरी गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. रणवीरसिंह चौधरी ने कहा कि उम्र के बढऩे के साथ शरीर के अंगों की कार्यक्षमता में कमी आने लगती है । खान-पान में लापरवाही व अनियमितता कई बीमारियों का कारण बन जाती हैं। स्वस्थ्य जीवनशैली अपनाएं और शरीर का नियमित परीक्षण कराते रहें।
क्या है डायबिटीज सिस्टोपैथी! मूत्र प्रोस्टेट एवं पथरी रोग विशेषज्ञ डॉ. कुलदीप शर्मा ने बताया कि डायबिटीज़ रोगियों के उम्र बढऩे के साथ पेशाब की थैली कमजोर पड़ जाती है। इसे डायबिटीज सिस्टोपैथी कहते हैं।