लगाने थे आई 5, लगाए आई 3 तय शर्तो के अनुसार फर्म को स्मार्ट सिटी मेें आई 5 प्रोसेसर के कंप्यूटर सप्लाई करने थे। मगर फर्म ने 10 साल पुराने कम्प्यूटर लगा दिए वो भी पाईरेटेड विंडो के साथ। जबकि शर्ता में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि सॉफ्टवेयर के लाइसेंस की जिम्मेदारी ठेकेदार की होगी। ठेकेदार ने सॉफ्टवेयर का लाइसेंस नहीं दिया है। 2 की जगह 4 कंप्यूटरों के बिल वेरीफाई करवाते हुए बिल भुगतान की तैयार की जा रही है। स्मार्ट सिटी की लेखा शाखा ने भी आंखें मूंदे रखी हैं।
पायरेटेड विंडो को हो रहा इस्तेमाल स्मार्ट सिटी में नियम विरुद्ध चल रही डिजिटल माप पुस्तिका भी इन्हीं कंप्यूटरों में रख रखी जाती है जिनको की स्मार्ट सिटी के अभियंता करोड़ों रुपए के प्रोजेक्टों के भुगतान वह अन्य कार्यों में काम में लेते हैं। इन कंप्यूटरों में पायरेटेड विंडो इस्तेमाल करना नुकसानदायक हो सकता है।
यह है प्रावधान आईटी एक्ट के अंतर्गत स्मार्ट सिटी के सरकारी डेटा की सुरक्षा नहीं कर पाने एवं कंप्यूटर प्रणाली को सुरक्षित नहीं रखने पर एक करोड़ रुपए तक का जुर्माने का प्रावधान है। मगर स्मार्ट सिटी के अभियंता फर्म पर कार्रवाई करने की जगह फर्म के बिल पास करने में लगे हुए हैं। अगर सारा डाटा नष्ट होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा इस पर जिम्मेदार अधिकारी मौन है और धड़ल्ले से बिल वेरीफाई कर रहे हैं।
स्मार्ट सिटी का कामकाज हुआ ठप स्मार्ट सिटी लिमिटेड की पुरानी फर्म ने मंगलवार को स्मार्ट सिटी कार्यालय से खुद के कंप्यूटर व प्रिंटर हटा लिए। इससे स्मार्ट सिटी का कामकाज ठप हो गया। पुरानी कम्पनी ने ऐतराज जताया कि पुरानी कम्पनी सेवाएं दे रही थी तो नई कम्पनी ने बिल कैसे प्रस्तुत किया।
इनका कहना है मैने बिल वैरीफाइ नहीं किया है,पुराने ओआईसी ने किया है। यह काम स्मार्ट सिटी की अकाउंट विंग देखती है। टेंडर भी उन्होनें ही किया है। इस माह चेंज ओवर हुआ है। इस बारे में पेपर देखकर ही कुछ कह सकता हूं।
रमाकांत शर्मा, एक्सईएन, स्मार्ट सिटी अजमेर