शहर की तीनों ही प्रमुख सडक़ें पिछले दो साल से आसपास की दुकानों के होर्डिंग की रोशनी से रोशन हैं। पहले सडक़ों के बीच में विद्युत पोल लगे थे। एलीवेटेड रोड का काम शुरू होते ही सबसे पहले पोल हटाए गए। तभी से यह तीनों मार्ग अंधेरे में है।
दुर्घटना का अंदेशा स्टेशन पर पूरी रात यात्रियों का आना-जाना लगा रहता है। स्टेशन के बाहर टैक्सी और अन्य वाहन खड़े रहते हैं। ऐसे में शाम होने के बाद इस रोड से संभलकर निकलना पड़ता है। बाटा तिराहे के पास ब्रिज की भुजा उतारी गई है। इसके दोनों और सर्विस लेन की चौड़ाई काफी कम है। केसरगंज की तरफ सर्विसलेन बुरी तरह क्षतिग्रस्त है। यही हाल आगरा गेट की तरफ आ रही भुजा के दोनों ओर का है। दूरसंचार विभाग कार्यालय के पास सर्विस लेन बुरी हालत में है। ब्रिज की इस भुजा के लिए सडक़ के बीचों बीच आरसीसी का जाल बांधा जा रहा है। यह काम काफी लम्बे समय से अटका हुआ है।
वाहनों की लाइट ही सहारा बाजार बंद होने के बाद इन रास्तों से निकलने के लिए खुद के वाहनों की रोशनी का ही सहारा है। गांधी भवन चौराहे पर रेलवे स्टेशन के सैकण्ड एंट्री गेट के अंदर लगी हाईमास्ट लाइट से थोड़ी बहुत रोशनी आ जाती है, अन्यथा स्टेशन से मार्टिंडल ब्रिज और पुरानी आरपीएससी की तरफ सड़कों पर पूरी तरह अंधेरा कायम है।हैलोजन से चला रहे काम
रात को ब्रिज के स्पान और गर्डर रखने का काम किया जा रहा है। जहां गर्डर रख दिए गए हैं वहां ब्रिज के ऊपर सडक़ बनाने का काम चल रहा है। जहां काम हो रहा है वहां जरूर रोशनी की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है, बाकी सारा काम अंधेरे में ही हो रहा है।
बीच सडक़ पड़ा सामान राहगीरों के लिए बीच सड़क पड़ा एलीवेटेड रोड निर्माण का सामान एक बड़ा खतरा है। ना तो वहां रोशनी है और ना ही वहां कोई आड़ लगाई गई है जिससे कि लोग उस जगह से दूरी पर रहें। ऐसे में रात को इन रास्तों से निकलना खतरे से खाली नहीं है।