प्रदेश के सरकारी कॉलेज पूरी तरह हाईटेक नहीं हो पाए हैं। कुछेक को छोडकऱ अधिकांश कॉलेज में विद्यार्थियों को स्मार्ट क्लास, ई-लर्निंग सॉफ्टवेयर से पढऩे की सुविधा नहीं मिल पाई है। हालांकि नए सत्र 2019-20 में उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेज को स्मार्ट बनाने की योजना बनाई है।
प्रदेश में करीब 200 स्नातक और स्नातकोत्तर कॉलेज हैं। 20 से 25 प्रतिशत कॉलेज को छोडकऱ अधिकांश में स्मार्ट क्लास, डिजिटल लाइब्रेरी, परिसर में सीसीटीवी कैमरा, वाई-फाई, स्मार्ट प्रयोगशाला, कम्प्यूटर, प्रोजेक्टर वाले सेमिनार कक्ष, स्वच्छ पेयजल, खेलकूद मैदान और अन्य संसाधन नहीं है। ऐसे में विद्यार्थियों को शैक्षिक एवं खेलकूद की बेहतर सुविधाएं नहीं मिल रही।
कई जगह बदहाली
प्रदेश ज्यादातर कॉलेज में विद्यार्थियों के लिए आधारभूत सुविधाएं नहीं है। अधिकांश कॉलेज में खेलकूद सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया जाता। कई कॉलेज में खेल मैदान, स्वीमिंग पूल, बास्केटबॉल कोर्ट टूटे पड़े हैं। स्मार्ट कक्षा बनाने को कई कॉलेज ने तवज्जो नहीं दी। है।
प्रदेश ज्यादातर कॉलेज में विद्यार्थियों के लिए आधारभूत सुविधाएं नहीं है। अधिकांश कॉलेज में खेलकूद सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया जाता। कई कॉलेज में खेल मैदान, स्वीमिंग पूल, बास्केटबॉल कोर्ट टूटे पड़े हैं। स्मार्ट कक्षा बनाने को कई कॉलेज ने तवज्जो नहीं दी। है।
यह संसाधन जरूरी
-संकायवार स्मार्ट कक्षा और स्मार्ट लेब
-परिसर में सीसीटीवी कैमरा
-शिक्षण के लिए ई-लर्निंग सॉफ्टवेयर
-आउटडोर खेलकूद के लिए मैदान
-डिजिटल और हाइटेक पुस्तकालय
-परिसर में वाई-वाई सुविधा
-संकायवार स्मार्ट कक्षा और स्मार्ट लेब
-परिसर में सीसीटीवी कैमरा
-शिक्षण के लिए ई-लर्निंग सॉफ्टवेयर
-आउटडोर खेलकूद के लिए मैदान
-डिजिटल और हाइटेक पुस्तकालय
-परिसर में वाई-वाई सुविधा