सांपों का कहर वर्षाऋुतु में हर वर्ष प्रदेश में संर्पदंश के मामले बढ़ जाते हैं। सर्पदंश में कुछ लोगों की जान चली जाती है। कई इलाज से ठीक हो जाते हैं तो कुछ झाड़ फूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं।
इसी मौसम में क्यों?
सर्दी में सांप शीत निद्रा में चले जाते हैं। उसके पहले अपने शरीर में भोजन भण्डारण करने के लिए बाहर निकल रहे हैं। उनका सामना इंसानों से हो रहा है। कब डसते हैं सांप
– सांप आदतन हिंसक नहीं होते हैं, वे तभी हमला करते हैं, जब कोई उनकी राह में आ जाता है।
– इंसान से भयभीत होने या खतरा होने पर ही वे डरते हैं। क्यों जाती है जान?
– सांप जब काटता है, तो लोग जरूरत से ज्यादा डर जाते हैं, इलाज में लापरवाही बरतते हैं।
– अस्पताल जाने की बजाय लोग झाड़ फूंक के लिए चले जाते हैं। दो प्रजाति के सांप प्रदेश में सर्वाधिक
प्रदेश में 2 प्रजाति के सांप प्रमुख रूप से पाए जाते हैं। इनमें एक कोबरा/नाग तो दूसरा वाइपर/चीतल है।
– राजस्थान सर्वाधिक जहरीले सांपों में कोबरा एवं वाइपर है।
– राज्य में रेट सांप बहुतायत में पाए जाते हैं मगर ये कम काटते हैं। बचाव के लिए जरूरी कार्य – तुरंत चिकित्सक के पास ले जाएं।
– शिकार/व्यक्ति को खुद चलने की अनुमति नहीं देना।
– पीडि़त व्यक्ति को जगा कर रखें।
– पीडि़त को शीशे में चेहरा दिखाएं। – जो सांप काटे उसकी फोटो खींचने या खिंचवाने का प्रयास करें, सांप की पहचान होने पर डॉक्टर को इलाज करने में सुविधा होगी।
– प्रशिक्षित सांप पकडऩे वाले को बुलाकर सांप को पकड़वाएं
सांप काटे स्थान पर नहीं लगाएं चीरा, न बांधें बारिश के मौसम में सांप काटने के केस बढ़ जाते हैं। कहीं भी सांप काटे तत्काल नजदीकी चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। सांप के काटे स्थान पर चीरा नहीं लगाएं। काटने के आस-पास बांधना भी नहीं चाहिए। मरीज के हाथ या पैर जिस हिस्से में सांप ने काटा है उस हिस्से को अधर में लेकर अस्पताल पहुंचे। अजमेर में वर्षा के मौसम में प्रति सप्ताह 10 से 12 मरीज आ रहे हैं।
– डॉ. संजीव माहेश्वरी, वरिष्ठ आचार्य, जेएलएन मेडिकल कॉलेज