तीन यातायात कर्मी भेजे लाइन मंगलवार शाम से करीब 40 घंटे तक चले इस पूरे प्रकरण का पटाक्षेप गुरुवार को पुलिस अधीक्षक शिवराज मीना द्वारा तीनों यातायातकर्मियों को लाइन भेजे जाने के साथ हो गया। जिला कलक्टर राकेश जायसवाल ने गुरुवार सुबह कलक्ट्रेट कार्मिकों से बात की और उन्हें एसपी के निर्णय के बारे में बताया। जिला कलक्टर ने कार्मिकों से पुन: काम पर लौटने की बात कही। इस पर कार्मिक भी धरना समाप्त करते हुए फिर से काम पर लौट आए।
सीओ सिटी और यातायात प्रभारी की भूमिका की जांच कार्मिकों से बातचीत के दौरान जिला कलक्टर ने कहा कि यातायातकर्मियों द्वारा कर्मचारियों से अभद्रतापूर्ण व्यवहार किया जाना दुर्भाग्य का विषय है। उन्होंने कहा कि पूरे मामले में सीओ सिटी प्रवेन्द्र महला और यातायात प्रभारी यशपाल सिंह की भूमिका की जांच के आदेश दिए। यह जांच एडीएम सुदर्शन सिंह तोमर को सौंपी गई है। कलक्टर ने कहा कि अगर सीओ सिटी और यातायात प्रभारी की भूमिका संदिग्ध पाई जाती है तो इस संबंध में गृह सचिव व डीजीपी को पत्र भेज कार्रवाई की मांग की जाएगी।
कई कर्मचारी संगठनों ने दिया समर्थन कलक्ट्रेट कार्मिकों के विरोध प्रदर्शन को राजस्व कर्मचारी संघ, मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ, पंचायती राज विभाग के मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ, पंचायती राज शिक्षक संघ, पटवार संघ आदि के द्वारा भी समर्थन दिया गया था।
गुरुवार सुबह भी दिया धरना इससे पहले, गुरुवार सुबह भी कलक्ट्रेट कर्मियों का धरना जारी रहा। इस दौरान कर्मचारी पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। कई अन्य संगठनों के लोग भी इस धरने में शामिल हुए। इस मौके पर मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि यातायात कर्मियों को उनके व्यवहार की सजा मिलनी चाहिए। वहीं, अशोक उपाध्याय ने कहा कि यातायात कर्मियों ने कर्मचारियों के साथ गलत व्यवहार किया है। यह अनुचित है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मौके पर देवेन्द्र कश्यप, गोपाल अवस्थी, रामकिशोर पाठक, नरेश सिंह परमार आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
यह था मामला दरअसल, मंगलवार को न्याय विभाग कलक्ट्रेट के सहायक प्रशासनिक अधिकारी नरेश परमार का पुत्र गुलाब बाग पर बाइक में पेट्रोल भरवाने गया। यहां तैनात ट्रेफिक पुलिसकर्मियों ने उसे हेलमेट नहीं होने के कारण रोक लिया और चालान काट दिया। युवक ने पैसे नहीं होने की बात कही और अपने पिता को बुला लिया। परमार अपने एक साथी गौरव शर्मा के साथ गुलाब बाग ट्रेफिक पॉइंट पर पहुंचे। आरोप है कि यहां ट्रेफिककर्मियों ने परमार और उनके साथी के साथ अभद्रता की। उस वक्त तो समझाइश कर दी गई। बुधवार को कलक्ट्रेट के अन्य कार्मिकों को घटनाक्रम का पता चला तो वे उखड़ गए।
फिर से खुले कार्यालयों के ताले मामले का पटाक्षेप होने के बाद गुरुवार दोपहर जिला कलक्ट्रेट के बंद कार्यालयों के ताले खुल गए। कर्मचारियों ने कार्य करना शुरू कर दिया। इससे बुधवार को काम को लेकर परेशान हुए लोगों को राहत मिली।
एसपी के पास आदेश देखने पहुंचे कर्मचारी कलक्टर के आश्वासन के बाद कर्मचारियों ने धरना समाप्त कर काम पर लौटने की घोषणा कर दी। इसके बाद भी कर्मचारियों तक यातायातकर्मियों को लाइन हाजिर करने का आदेश नहीं पहुंचा। इस पर कर्मचारी आदेश देखने पुलिस अधीक्षक के पास जा पहुंचे। जहां उन्हें प्रति दिखा दी गई, लेकिन दी नहीं गई। इस पर कर्मचारियों में हलहल सी मची रही। करीब आधा घंटे की उहापोह के बाद कर्मचाारियों को आदेश की प्रति दे दी गई गई।
इनका कहना है यातायातकर्मियों की ओर से अभद्रता की गई थी। एसपी से वार्ता के बाद तीनों यातायातकर्मियों को लाइन भेज दिया गया है। पूरे प्रकरण में पुलिस उपाधीक्षक और यातायात प्रभारी की भूमिका की जांच एडीएम को सौंपी गई है।
- राकेश कुमार जायसवाल, जिला कलक्टर, धौलपुर तीनों यातायात कर्मियों को लाइन भेज दिया गया है।
- शिवराज मीना, पुलिस अधीक्षक, धौलपुर
- शिवराज मीना, पुलिस अधीक्षक, धौलपुर