धर्मसभा में विनयकुशल मुनि ने कहा कि मंदिर में पूजा करने से ही भगवान खुश नहीं होते। मंदिर इसलिए बनाए जाते हैं कि भगवान की आवश्यकता है, बल्कि मंदिर में जब हम स्वयं को प्रभु दर्शनों के लिए उपस्थित करते हैं तो हमारी भावना बनती है कि प्रभु हमें भी आप जैसा बनने की सामथ्र्य प्रदान करें। उन्होंने कहा कि बाहर की भव्यता और सुंदरता कोई मायने नहीं रखती है। यह तो भीतर से अलौकिक होती है।
विनयकुशल मुनि का मंगल प्रवेश प्रमुख जैन संत पंन्यास प्रवर विनयकुशल मुनि व शुभदर्शना श्रीजी ने सोमवार को सरवाड़ में मंगल प्रवेश किया। यहां चमन चौराहे पर ओसवाल जैन समाज ने संतों की अगवानी की। जुलूस के साथ जैन मंदिर तक लाया गया। समाज के अध्यक्ष विमलचंद कक्कड़ व मंत्री संजय कुमार पगारिया ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
कार्यक्रम में लादूलाल सोनी, तेजसिंह पानगडिय़ा, सूरजकरण महता, विजय कक्कड़, हितेन्द्र महता, सोहनलाल चौधरी, चैनसिंह पगारिया, राजकुमार महता, जसवंत सोनी, सुरेन्द्र लोढ़ा, गणपत सिंह आंचलिया, शांतिलाल गोखरू, संपत सिंह आंचलिया, राजेश चौधरी, राजेश कक्कड़, सुरेन्द्र कुॅवाड़, आयुष कक्कड़, गौतमचंद मोदी आदि मौजूद रहे।
वरघोडा़ आज : मंगलवार प्रात: 9 बजे मंदिर से भगवान का वरघोड़ा निकाला जाएगा। जो प्रमुख मार्गों से होता हुआ दादाबाड़ी पहुंचकर विसर्जित होगा। रथ, घोड़े व बैंड आदि जुलूस का मुख्य आकर्षण रहेंगे।
शालीभद्र भोजन मंडप का शुभारंभ : यहां दादाबाड़ी परिसर में बनाए शालीभद्र भोजन मंडप का शुभारंभ किया गया। मंगल पाठ के बीच कक्कड़ परिवार के सदस्यों ने भोजन मंडप का उद्घाटन किया।