अजमेर

आंकड़ों ने चौंकाया – यहां क्षमता है 264 की, निकले सिर्फ 49

घूघरा गांव स्थित हाइसिक्योरिटी जेल की क्षमता 264 हार्डकोर बंदी रखने की है लेकिन यहां मौजूदा हालात में सिर्फ 49 बंदी मौजूद है

अजमेरApr 28, 2019 / 02:07 am

manish Singh

आंकड़ों ने चौंकाया – यहां क्षमता है 264 की, निकले सिर्फ 49

हाइसिक्योरिटी जेल : जिला विधिक सेवा प्राधिकरण व सेशन जज विनोद कुमार भरवानी ने किया निरीक्षण
मनीष कुमार सिंह

अजमेर. घूघरा गांव स्थित हाइसिक्योरिटी जेल की क्षमता 264 हार्डकोर बंदी रखने की है लेकिन यहां मौजूदा हालात में सिर्फ 49 बंदी मौजूद है। इसमें भी 27 सजायाफ्ता हार्डकोर बंदी है बाकि 22 बंदी विचाराधीन हैं। इन्हें जेल में अलग-अलग वार्ड में रखा जाता है।
यह खुलासा शनिवार राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर के अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अजमेर (जिला एवं सेशन न्यायाधीश) विनोद कुमार भारवानी के औचक निरीक्षण में हुआ। भारवानी ने शनिवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव एवं अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश डॉ. शक्तिसिंह शेखावत और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भारतभूषण शर्मा के साथ हाइसिक्योरिटी जेल का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण में सामने आया कि जेल में बंदियों के लिए कारागृह में पृथक-पृथक वार्ड निर्मित है। इसमें दो नए वार्ड में 5-5 बैरक, दो पुराने वार्ड में छह-छह बैरक (कोठरियां) हैं, जिनमें अलग-अलग ही बंदी रखे हुए है। जेल अधीक्षक नरेन्द्रसिंह, और उप कारापाल अजीतसिंह ने निरीक्षण करवाते हुए जानकारियां दी।

मिलती चिकित्सा सुविधा
निरीक्षक में सामने आया कि बैरक व्यवस्था और उसका परिसर ऊंची बाउंड्री से कवर्ड होने के साथ साफ-सुथरा है। खाने पीने की व्यवस्था का अवलोकन किया गया जो सब ठीक पाया गया। बंदियों को समाचार पत्र पत्रिकाएं नियमित रूप से दी जाती हंै। वहीं पानी बिजली की व्यवस्था व्यवस्थित है। बंदियों की चिकित्सा सुविधा के लिए डॉ. अंकित शर्मा और मेलनर्स सुरज्ञान तैनात है।
जेल मे है कानूनी क्लीनिक

निरीक्षण के दौरान बंदियों की कानूनी सेवा क्लीनिक का निरीक्षण किया गया। जिसमें प्रचार प्रसार सामग्री उपयुक्त पाई गयी। पेम्पलेट, बुकलेट सहज उपलब्ध थे। कारागृह में बंदियों को पर्याप्त सुविधाएं दी जा रही है। बंदियों ने प्राधिकरण की टीम को किसी भी बंदी से, कारागृह कर्मचारी, अधिकारी से कोई परेशानी नहीं होना बताया है। न किसी के खिलाफ शिकायत पेश की है। उन्होंने बंदियों में विधिक जागरूकता बढ़ाने के लिए शिकायत पेटिका खोलकर देखी गई। जिसमें कोई शिकायत नहीं मिली।
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