क्यूआरटी और पुलिस के घुड़सवार दल ने भी मोर्चा संभाले रखा। पुलिसकर्मियों की बार-बार चेतावनी और सख्ती देखकर कई छात्र इधर उधर भागते नजर आए। मालूम हो कि 31 अगस्त के मतदान के दिन भी महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के बाहर पुलिस ने लाठियां फटकारी थी। एनएसयूआई और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों में परस्पर नारेबाजी के चलते माहौल कुछ देर के लिए तनाव पूर्ण हो गया था।
पिछले साल हुआ था ये हाल… पिछले साल 4 सितम्बर को मतगणना के दौरान जीसीए चौराहे पर छात्रों की नारेबाजी और हुड़दंग के चलते पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। कई छात्र गिरते-पड़ते गलियों और सेंट फ्रांसिस अस्पताल और अन्य जगह घुस गए थे। यहां भी पुलिस ने इन पर लाठियां बरसाई थी। साल 2016 में भी जीसीए चौराहे पर लाठीचार्ज किया था। यहां सेंट एन्सलम्स स्कूल के आसपास पुलिस के घुड़सवार दल ने कांग्रेस नेताओं, एनएसयू्आई के पदाधिकारियों और छात्रों पर लाठियां बरसाई। इससे कई लोगों के सिर, हाथ-पैर में चोटें पहुंची थी।
अंदरूनी फूट, बगावत और कम वोटिंग पड़ी भारी छात्रसंघ चुनाव के नतीजे बहुत ज्यादा चौंकाने वाले नहीं आए। एनएसयूआई और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को अंदरूनी फूट, अपने ही छात्र-छात्राओं की बगावत और कम मतदान का जबरदस्त खामियाजा भुगतना पड़ा।
केंद्र और राज्य में सरकार होने के बावजूद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय, दयानंद कॉलेज, राजकीय कन्या महाविद्यालय में अध्यक्ष पद नहीं मिल पाए। मदस विश्वविद्यालय में 2012-13 से लगातार हार रही विद्यार्थी परिषद ने ऐनमौके पर लोकेश गोदारा पर दांव खेला। यह बिल्कुल सही साबित हुआ। उधर निर्दलीय प्रत्याशी पंकज रुलानिया ने अभाविप से बगावत कर ताल ठोकी। उनकी तीन साल की सक्रियता, विद्यार्थी परिषद के पुराने कार्यकर्ताओं की मेहनत विफल रही। यहां उपाध्यक्ष पद शिवनेश, महासचिव पद पर राहुल राजपुरोहित और संयुक्त सचिव पद पर निहारिका उपाध्याय ने कब्जा जमाया।