वर्ष 2007-08 में सरकार ने महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय स्थित चौराहे पर 32 बीघा जमीन राजकीय कन्या महाविद्यालय को आवंटित की। छात्राओं की आवाजाही में परेशानी को देखते हुए महाविद्यालय ने वहां भवन बनाने से इन्कार कर दिया। बाद में सरकार ने इसमें से 12 बीघा जमीन लॉ कॉलेज और 20 बीघा जमीन कॉमर्स कॉलेज को आवंटित कर दी। लॉ कॉलेज तो यहां भवन गया पर कॉमर्स कॉलेज का अता-पता नहीं है।
कागजों में दौड़ रहा कॉलेज? कॉमर्स कॉलेज का नाम के संस्थान का अजमेर में कोई अस्तित्व नहीं है। तीन वर्ष पूर्व सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय को आट्र्स, साइंस ऑर कॉमर्स कॉलेज में बांटने की सिफारिश की गई थी। प्रदेश का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित कॉलेज होने से मामला टल गया। इसके बावजूद कागजों में कॉमर्स कॉलेज बना हुआ है। मालूम हो कि कोटा और अन्य स्थानों पर स्नातकोत्तर कॉलेज को संकायवार अलग किया गया, पर यह प्रयोग सफल नहीं हुआ।
जमीन की नहीं परवाह
लॉ कॉलेज से सटी जमीन की सरकार और प्रशासन को परवाह नहीं है। यहां चाय की थडिय़ां लग चुकी हैं। कई लोग झुग्गी-झौंपड़ी बनाकर निवास करने लगे हैं। 20 बीघा जमीन पर ना कोई तारबंदी है, ना चारदीवारी बनाई गई है। यही हाल लॉ कॉलेज की 12 बीघा जमीन का है। कॉलेज भवन को शिफ्ट हुए चार साल हो चुके हैं। इसकी जमीन पर भी चारदीवारी और तारबंदी नहीं की गई है।
लॉ कॉलेज से सटी जमीन की सरकार और प्रशासन को परवाह नहीं है। यहां चाय की थडिय़ां लग चुकी हैं। कई लोग झुग्गी-झौंपड़ी बनाकर निवास करने लगे हैं। 20 बीघा जमीन पर ना कोई तारबंदी है, ना चारदीवारी बनाई गई है। यही हाल लॉ कॉलेज की 12 बीघा जमीन का है। कॉलेज भवन को शिफ्ट हुए चार साल हो चुके हैं। इसकी जमीन पर भी चारदीवारी और तारबंदी नहीं की गई है।