देश भर के मेडिकल और डेंटल कॉलेज में प्रवेश के लिए सीबीएसई नेशनल एलिजिबिलिटी कम एन्ट्रेंस टेस्ट का आयोजन करेगा। संभवत: 6 मई को परीक्षा का आयोजन होगा। जनवरी बीत चुका है। अब तक सीबीएसई ने वेबसाइट पर परीक्षा और ऑनलाइन आवेदन की तिथियां और नियम जारी नहीं किए हैं। देशभर में विद्यार्थियों को फार्म भरने का इंतजार है। सीबीएसई मुख्यालय और क्षेत्रीय कार्यालयों में इसको लेकर विद्यार्थी रोजाना फोन भी कर रहे हैं।
होगी परीक्षा में कड़ी जांच परीक्षा के दौरान विद्यार्थियों को कड़ी जांच से गुजरना हेागा। नेट-आरएफ और अन्य परीक्षाओं की तरह नीट में भी विद्यार्थियों को आधार नम्बर देना जरूरी होगा। इससे सीबीएसई के पास उनका पूरा डाटा रहेगा। परीक्षा केंद्रों में विद्यार्थियों को दो कोड में बांटा जाएगा। इन्हें जांच के लिए भी अलग-अलग समय पर बुलाया जाएगा।
देश में डॉक्टर्स की कम
भारत की जनसंख्या मौजूदा वक्त 1 करोड़ 25 लाख से भी ज्यादा है। देश में प्रति 250 व्यक्तियों पर अभी भी 1 डॉक्टर पर भी कार्यरत नहीं है। ग्रामीण और अति पिछड़े इलाकों में तो स्थिति बेहद नाजुक है। शहरी अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। देश के सभी राज्यों के अस्पतालों में हजारों पद रिक्त हैं। डॉक्टर्स की कमी के चलते कहीं-कहीं तो नर्सिंग स्टाफ सेवाएं दे रहा है। संविदा पर भी सरकार को सेवानिवृत्त चिकित्सक नहीं मिल पा रहे।
भारत की जनसंख्या मौजूदा वक्त 1 करोड़ 25 लाख से भी ज्यादा है। देश में प्रति 250 व्यक्तियों पर अभी भी 1 डॉक्टर पर भी कार्यरत नहीं है। ग्रामीण और अति पिछड़े इलाकों में तो स्थिति बेहद नाजुक है। शहरी अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। देश के सभी राज्यों के अस्पतालों में हजारों पद रिक्त हैं। डॉक्टर्स की कमी के चलते कहीं-कहीं तो नर्सिंग स्टाफ सेवाएं दे रहा है। संविदा पर भी सरकार को सेवानिवृत्त चिकित्सक नहीं मिल पा रहे।
प्राइवेट प्रेक्टिस को तवज्जो
सरकारी सेवा में सीमित अवसर और वेतन-भत्तों को लेकर डॉक्टर्स और सरकार में टकराव चलता रहता है। इसके चलते डॉक्टर्स प्राइवेट प्रेक्टिस को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। कई नामचीन डॉक्टर्स के देश में चिरपरिचत हॉस्पिटल हैं। इनमें भारी-भरकम फीस लेकर मरीजों का ईलाज किया जाता है। पिछले साल ही राजस्थान में सेवारत डॉक्टर्स ने दो बार हड़ताल की थी। सरकार से उनका लम्बे समय तक टकराव चला था।
सरकारी सेवा में सीमित अवसर और वेतन-भत्तों को लेकर डॉक्टर्स और सरकार में टकराव चलता रहता है। इसके चलते डॉक्टर्स प्राइवेट प्रेक्टिस को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। कई नामचीन डॉक्टर्स के देश में चिरपरिचत हॉस्पिटल हैं। इनमें भारी-भरकम फीस लेकर मरीजों का ईलाज किया जाता है। पिछले साल ही राजस्थान में सेवारत डॉक्टर्स ने दो बार हड़ताल की थी। सरकार से उनका लम्बे समय तक टकराव चला था।
परीक्षा में विषय और अंक बायलॉजी-360, फिजिक्स-180, केमिस्ट्री-180