जेएलएन मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में इस तरह का पहला ऑपरेशन किया गया। लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. अनिल के शर्मा ने बताया कि बिजयनगर निवासी अनुष्का (24) पुत्री अशोक टेलर पिछले 3 साल से पेट व छाती में दर्द व चलने फिरने पर सांस में परेशानी थी। बिजयनगर से ब्यावर अस्पताल में दिखाया, जहां एक्सरे जांच में संदेह होने पर चेस्ट इन्फेक्शन समझ कर उसका उपचार किया गया। लेकिन आराम नहीं आया और छाती की सीटी स्कैन की गई, जिसमें दुर्लभ बीमारी ‘डायाफ्रेगमेटिक हर्निया’ का पता चला तो, किसी ने अहमदाबाद जाने की सलाह दी और किसी ने डॉ. अनिल के. शर्मा को दिखाने की सलाह दी। मरीज की मां उसे दूरबीन सर्जन डॉ. शर्मा के पास लेकर पहुंची। लक्षणों से सन्देह होने व मरीज की जांचें देख कर छाती के बाएं हिस्से में फेफड़े की जगह आंत के होने व डायाफ्रॉम में छेद होने का पता चला व ‘कंजेनिटल डायाफ्रेगमेटिक हर्निया’ नामक बीमारी का निदान (डायग्नोसिस) किया गया। बाद में डॉ. विभागध्यक्ष श्याम भूतड़ा की अनुमति के बाद दूरबीन से ऑपरेशन का निर्णय लिया।
आंत व तिल्ली छाती में फंस कर फेंफड़े को दबा रखा बेहोशी की जांच बाद डॉ अनिल के. शर्मा ने ऑपेरशन में पाया ये ‘बोकडेलेक डायाफ्रॉगमटिक हर्निया’ है जिसमे पेट व फेफड़ों के बीच की झिल्ली में करीबन 10 सेंटीमीटर छेद से अपेंडिक्स सहित पूरी बड़ी आंत व छोटी आंत छाती के अंदर फंसी हुई है और फेफड़े तो पूर्णतया दबा रखा है धीरे-धीरे आंत को बाहर निकाल के छाती व हृदय का निरीक्षण किया गया, तिल्ली डायाफ्राम के डिफेक्ट के अन्दर बाहर हो रही थी। पूरी आंत व तिल्ली लम्बे समय तक फेफड़ों के अंदर होने से पेट में स्पेस कम हो गया था। जिस से आंत को पेट मे रोके रखने व ऑपरेशन जारी रखने में काफी परेशानी आई। इसके पश्चात हर्निया की पीछे की वाल न होने से छेद बन्द करने में आ रही परेशानी को देखते हुए नवाचार करते हुए ‘ट्रांस फेसियल सूचर्स’ का उपयोग किया गया, ओर डिफेक्ट को बंद करने के बाद हर्निया वापस होने से रोकने के लिए ‘जाली’ लगा के लिवर बड़ी आंत, स्टमक इत्यादि को सरका के जाली के लिए जगह बना कर उसे फिक्स किया गया। पिचके फेफड़े को फुलाने के लिए छाती में आईसीडी ट्यूब डाली गई और वेंटीलेटर का प्रेशर लगा कर फेफड़े को फुलाया गया। ऑपरेशन में लगभग 4 से 5 घंटे से चला। ऑपेरशन हृदय, फेफड़ों,लिवर, डायफ्राम व तिल्ली के पास होने व काफी गहराई में होने से व लगभग सारी बड़ी व छोटी आंत व तिल्ली के छाती में होने काफी खतरा था। फेंफड़ों के ना फूलने व इन्फेक्शन होने पर मरीज की जान भी जा सकती थी या लंबे समय आईसीयू में वेंटीलेटर पर भी रहना पड़ सकता था। मरीज आपरेशन के दिन ही चलने फिरने लगी, दर्द में आराम आने व सांस व खाना खाने में कोई तकलीफ नहीं होने के बाद मरीज स्वस्थ अवस्था में छुट्टी कर दी गई।
यह रहे ऑपरेशन टीम में डॉ अनिल के. शर्मा के नेतृत्व में डॉ. शीतांशु, डॉ गिरिराज, डॉ मनोज, डॉ. रेनू, नर्सिंग स्टाफ गीता मोल व अमित, गुलाम शामिल रहे। एनेस्थेसिया टीम में डॉ वीना पटौदी के निर्देशन में डॉ वीना माथुर व टीम मौजूद रही। ऑपरेशन के बाद भी फेंफड़े फुलाने में सहयोग किया।
जेएलएनएच में जटिल सर्जरी की सुविधा उपलब्ध
सर्जरी विभागध्यक्ष डॉ श्याम भूतड़ा ने बताया कि प्रिंसिपल वी.बी. सिंह, अधीक्षक डॉ नीरज गुप्ता के सहयोग से जेएलएन अस्पताल में दूरबीन की अत्याधुनिक मशीनों से सभी प्रकार की जटिल सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है।
सर्जरी विभागध्यक्ष डॉ श्याम भूतड़ा ने बताया कि प्रिंसिपल वी.बी. सिंह, अधीक्षक डॉ नीरज गुप्ता के सहयोग से जेएलएन अस्पताल में दूरबीन की अत्याधुनिक मशीनों से सभी प्रकार की जटिल सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है।