पत्रिका के संडे पॉलीटिकल कार्यक्रम में वैशाली नगर सेक्टर तीन के निवासियों ने खुलकर अपनी अपने विचार रखे। लोगों का मानना है कि कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने पिछले लोकसभा चुनावों में कई वायदे किए। इसके बावजूद समस्याओं का स्थाई समाधान नहीं हो पाया है। महिला आरक्षण बिल, स्मार्ट सिटी योजना, युवाओं को रोजगार, शहर में रोजाना पेयजल आपूर्ति पर केवल बातें हुई हैं। धरातल पर इनका क्रियान्वयन दिख नहीं रहा है। खासतौर पर स्वच्छता और पेयजल के मामले में तो शहर अब तक पिछड़ा हुआ है। इस दौरान विष्णु टहिलयानी, डॉ. एम. पी. शर्मा, कपिल गर्ग, राजेश मोटवानी, योगेश गर्ग, भावना वापरानी और अन्य मौजूद थे।
पीएम मोदी की सरकार ने अजमेर को स्मार्ट सिटी,हृदय योजना में शामिल किया। करीब 1900 करोड़ का बजट भी मिला। इसके बावजूद आनासागर झील में बना ट्रीटमेंट प्लांट पूरी तरह शुरू नहीं हुआ है। झील में नालों का गंदा पहुंचना जारी है। सेक्टर तीन और आसपास के इलाके में लोग खुलेआम शौच करते दिखते हैं। संभाग स्तरीय जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में कई नए भवन पर कॉर्डियो सर्जन, न्यूरो फिजिशियन जैसे विशेषज्ञ सेवाएं नहीं हैं। लोगों को जयपुर, दिल्ली अथवा भीलवाड़ा की दौड़ लगानी पड़ रही है। वैशाली नगर-पंचशील इलाके में बड़े सेटेलाइट अस्पताल की जररूत है।गोविंद वर्माराजनैतिक दल महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बातें करते हैं। आरक्षण अब तक नहीं मिल पाया है। महिला सुरक्षा को लेकर भी ठोस इंतजाम नहीं हैं। पानी अजमेर की सबसे बड़ी समस्या है। बीसलपुर के अलावा कोई वैकल्पिक इंतजाम नहीं है। पूरे शहर में कॉलोनियों-मोहल्लों की सफाई के हाल खराब हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में नेता बातें करते हैं, लेकिन शहर की इन समस्याओं का कोई स्थाई समाधान नहीं हो रहा है।
नीलम वरियानी देश में चार साल से स्वच्छ भारत अभियान चल रहा है। अजमेर की स्वच्छता रैंकिंग देखकर तो काफी निराशा होती है। यहां बाजारों और सार्वजनिक स्थानों पर पार्र्किंग की बड़ी समस्या है। मदार-गेट से आगरा गेट, कचहरी रोड, वैशाली नगर तक सडक़ की चौड़ाई कम होने से वाहनों की रेल-पेल रहती है। दरगाह, नागफणी-आंतेड़-क्रिश्चियनगंज, शास्त्री नगर और अन्य इलाकों में अरावली पहाड़ पर अवैध कब्जे और अंधाधुंध खनन जारी है। शहर में युवाओं के लिए बड़े रोजगार का विकल्प होना बहुत जरूरी है।
रहेश माथुर हमें सबसे पहले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अधिकाधिक मतदान का प्रण लेना चाहिए। खासतौर पर देश की सरकार चुनने का अवसर हो तो भूमिका अहम हो जाती है। अजमेर या किसी भी शहर के स्थानीय मुद्दे-समस्याएंसंसद में गूंजनी चाहिए। यह राजनेताओं का कत्र्तव्य है, कि वे अपने क्षेत्रों के संतुलित विकास मे योगदान दें। अजमेर के सभी इलाकों में स्वच्छता, संतुलित विकास, सडक़, रोड, बिजली और पानी की परेशानियां हैं। केंद्र और राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन और लोगों की सहभागिता से इन्हें दुरुस्त किया जा सकता है।
सुरेश जैन शहर के परकोटे और बाहरी इलाकों में कई बावडिय़ों और कुओं को अतिक्रमण निगल चुका है। पेयजल समस्या का स्थाई निराकरण नहीं हुआ है। यह भविष्य की सबसे बड़ी दिक्कत बनेगी। अजमेर के सांसद और विधायकों को इस पर सर्वाधिक ध्यान देना चाहिए। कई इलाकों में सडक़ को चौड़ा करने, पुरानी पाइप लाइन बदलने, शहर को पोललैस बनाने जैसे कामकाज हुए हैं। केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय और संतुलन के बिना विकास मुश्किल हैं। अजमेर या किसी भी क्षेत्र का जनप्रतिनिधि स्थानीय निवासी ही बने इसे तवज्जो देनी चाहिए।
गजेंद्र पंचौली तेजी से बढ़ती जनसंख्या और आरक्षण देश की सबसे बड़ी परेशानी है। हम केंद्र सरकार चुनने जा रहे हैं। लिहाजा प्रत्येक नागरिक को स्थानीय, प्रादेशिक और केंद्रीय स्तर के मुद्दों को पुरजोर ढंग से उठाना चाहिए। 1956 से पहले अजमेर केंद्रशासित प्रदेश था। राजस्थान में विलय के बाद इसका नियोजित विकास नहीं हुआ है। शहर का फैलाव जरूर हुआ पर योजनाबद्ध तरीके से बसावट नहीं हो रही। पुरानी और नई कॉलोनियों में सडक़, पानी, नाली, बिजली की समस्याएं समान हैं। सरकार और जनप्रतिनिधियों कोस्थानीय मुद्दों का निराकरण त्वरित करना चाहिए।
मुकेश माथुर ब्रिटिशकाल से अजमेर शैक्षिक हब रहा है, लेकिन पिछले 20-25 साल में यह स्थिति बदल चुकी है। जोधपुर, जयपुर, बीकानेर, कोटा में कई विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय संस्थान खुले हैं। अजमेर के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता रहा है। यहां के जनप्रतिनिधियों को पुरजोर तरीके से शहर के लिए बड़े संस्थान, औद्योगिक इकाई की मांग करनी चाहिए। इन सबके लिए पानी जरूरी है। बीस साल से शहर बीसलपुर बांध पर निर्भर है। इसे चंबल, सतलज या अन्य नदियों से जोडऩे की बातें ही हुई है।
मनीष सिमलोत