अजमेर जिले के गेगल निवासी सुखपाल चौधरी पिछले दस साल से स्वीटकॉर्न की खेती कर रहे हैं। इस फसल को बोने के लिए जब आसपास के किसान आगे नहीं आते थे उन्होंने तब इस फसल को बोना शुरू किया। मगर जब बम्पर पैदावार एवं अच्छे दाम मिलने लगे तो हर किसान उनसे टिप्स लेने पहुंच रहे हैं।
सामान्य से मिल रहे तिगुने भाव हरे भुट्टे के बाजार भाव सामान्य मक्का के भाव से तीन गुना से भी अधिक हैं। सुखपाल ने बाजार की मांग एवं आपूर्ति को देखते हुए स्वीटकॉर्न की बुआई भी उसी अनुरूप की। ताकि बारिश का मौसम शुरू हो और बाजार में हरे भुट्टे बेचे जाएं। इसके भाव 15 से 35 रुपए किग्रा तक मिल रहे हैं।
लागत 10, मुनाफा 30 हजार सुखपाल इन दिनों लगभग 10 से 15 किंवटल हरे भुट्टे की उपज को प्रतिदिन मंडी पहुंचा रहे हंैं। इस फ सल में अधिकतम दस हजार रुपऐ प्रति बीघा लागत आती है एवं 30 से 35 हजार रुपए प्रति बीघा शुद्ध मुनाफा प्राप्त हो रहा है। ं भुट्टे काटने के बाद हरा चारा मवेशियों को खिलाने से दूध का उत्पादन भी बढ़ रहा है।
कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से रोग नियंत्रण स्वीटकॉर्न में लट का प्रकोप होने का डर रहता है। लेकिन कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों की मदद से रोग पर नियंत्रण किया गया है। सेहत के लिए फायदेमंद है मोटा अनाज
स्वीट कॉर्न सेहत के लिए बहुत फ ायदेमंद है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन, फ ाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं। स्वीटकॉर्न को पकाने के बाद इसमें 50 प्रतिशत एंटीऑक्सीडेंट्स की वृद्धि हो जाती है। पके हुए भुट्टे में भरपूर मात्रा में फेरुलिक एसिड होता है। जो कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से लडऩे में मदद करता है। स्वीट कॉर्न का दाना सामान्य मक्का से मोटा होता है। इसे कच्चा या उबालकर खाया जा सकता है। आजकल लोग उबले हुए कॉर्न पसंद कर रहे हैं। इसे सूप या सब्जी के रूप में इस्तेमाल करने से इसका फायदा दोगुना हो जाता है। यही नहीं स्वीटकॉर्न की बेकरी प्रोडक्ट स्वीटकॉर्न केक, स्वीटकॉर्न क्रीम स्टाइल, स्वीटकॉर्न मेयो सेंडविच आदि में भी खासी डिमांड है।
डॉ. रमाकान्त शर्मा प्रसार वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र अजमेर मक्का एवं स्वीटकॉर्न फसल में फ ॉल आर्मीवर्म व तना छेदक कीट का प्रकोप वर्षाकालीन फ सल में होता है। सुखपाल इसके बचाव के लिए फेरोमोन जाल एवं नीम की खली 250 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई पूर्व खेत में प्रयोग करते हैं। कीट प्रकोप के बाद जैविक कीटनाशक बी टी के 3 मिली या नीम आधारित कीटनाशी 1500 पीपीएम (5 मिली) प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करते हैं।
डॉ.एस.के.शर्मा, कृषि वैज्ञानिक