तत्कालीन कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी का कार्यकाल 18 जुलाई को खत्म हुआ था। इस दौरान सर्च कमेटी की बैठक बीते साल 5 अक्टूबर और 30 दिसम्बर को हुई। पहली बैठक के बाद किसी नाम पर सहमति नहीं बन पाई। दूसरी बैठक में प्रो. विजय श्रीमाली, प्रो. साधना कोठारी, प्रो. ईश्वर सरन, प्रो. आर. के. मित्तल और प्रो. आर. वी. सिंह के नाम शामिल थे। इनमें से प्रो. ईश्वर सरन का उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में सदस्य और प्रो. आर. के. मित्तल का हरियाणा में कुलपति पर चयन हो गया।
नियुक्ति रुकवाने पर ज्यादा जोर…
अधिकृत सूत्रों के मुताबिक कुलपति की दौड़ में एम.एल. सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के प्रो. विजय श्रीमाली और प्रो. साधना कोठारी प्रमुख दावेदार हैं। लेकिन उन्हीं के विश्वविद्यालय से जुड़े शिक्षाविद और प्रदेश के कई भाजपा नेता इनकी नियुक्ति के बजाय रुकवाने के लिए सक्रिय हैं। अंदरुनी स्तर पर दोनों की लॉबी के लोग राजभवन और सरकार पर दबाव बनाए हुए है।
अधिकृत सूत्रों के मुताबिक कुलपति की दौड़ में एम.एल. सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के प्रो. विजय श्रीमाली और प्रो. साधना कोठारी प्रमुख दावेदार हैं। लेकिन उन्हीं के विश्वविद्यालय से जुड़े शिक्षाविद और प्रदेश के कई भाजपा नेता इनकी नियुक्ति के बजाय रुकवाने के लिए सक्रिय हैं। अंदरुनी स्तर पर दोनों की लॉबी के लोग राजभवन और सरकार पर दबाव बनाए हुए है।
क्यों है कुलपति पद खास….. राजस्थान विश्वविद्यालय, जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय और उदयपुर के एम.एल. सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय में शिक्षकों की संख्या ज्यादा है। तीनों विश्वविद्यालयों के शिक्षकों की भाजपा-कांग्रेस से निकटता है। राजनीति में भी कई शिक्षकों का जबरदस्त दखल है। वे एकदूसरे के खिलाफ अंदरूनी शिकवे-शिकायतें करते रहे हैं। उधर महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में शिक्षकों की संख्या कम है। अन्य विश्वविद्यालयों की अपेक्षा राजनीति भी कम है। ऐसे में यहां कुलपति बनना शिक्षाविदों को ज्यादा पसंद आता है।
जयपुर और उदयपुर ही सर्वोपरी… कुलपति नियुक्ति में मदस विश्वविद्यालय का उदयपुर और जयपुर से संबंध ज्यादा रहा है। प्रो. रामबलि उपाध्याय, प्रो. कांता आहूजा, डॉ. पी. एल. चतुर्वेदी, प्रो. रूपसिंह बारेठ और प्रो. भगीरथ सिंह का नाता जयपुर से रहा। जबकि प्रो. डी. एन. पुरोहित, प्रो. कैलाश सोडाणी मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय उदयपुर में कार्यरत थे। प्रो. एम. एल. छीपा एकमात्र कुलपति थे, जिनका ताल्लुक महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से रहा है।