दीपावली पर्व को लेकर व्यापारियों की ओर से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। अजमेर में मिठाइयों की खपत अच्छी होती है, ऐसे में पूजन के काम आने वाली मिठाइयां अभी से बनना भी शुरू हो गई हैं, जो जल्द बाजार में बिकने को आने वाली हैं। अगर फीका मावा (खोया) की बात करें तो अजमेर जिले से बाहर बीकानेर, पाली, जालोर सहित कई जिलों से अजमेर में सप्लाई होता है ऐसे में फीका मावा की खरीद भी जांच-परख कर करने की आवश्यकता है।
इन मिठाइयों में करते हैं रंगों का उपयोग
इन मिठाइयों में करते हैं रंगों का उपयोग
जलेबी, मावा की मिठाइयां, ड्राई फू्रट्स की मिठाइयां, रस मलाई, केसरबाटी सहित अन्य मिठाइयों में उपयोग करते हैं। दुकानदारों से भी समझाइश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की ओर से मिठाई विक्रेता एवं दुकानदारों से भी उच्च क्वालिटी की मिठाई बेचने, फीका मावा खरीदते समय जांच कर लेने एवं उसके बाद मिठाइयां तैयार करने को लेकर समझाइश की जा रही है।
एक्सपर्ट व्यू…
एक्सपर्ट व्यू…
मिठाइयों में कुछ दुकानदार मैटेलिक रंगों का उपयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए घातक है। मैटेलिक रंग के उपयोग वाली मिठाइयों के लगातार सेवन करने से किडनी एवं लीवर डेमेज हो सकता है। कुछ रंग ऐसे होते हैं, जो मैटेलिक नहीं होते हैं और उच्च क्वालिटी के होते हैं, उनसे किसी तरह का नुकसान नहीं होता है।
डॉ. संजीव माहेश्वरी, वरिष्ठ फिजिशियन त्योहार के सीजन में आमजन को भी जागरूक रहने की आवश्यकता है। मिठाइयों में जो मैटेलिक कलर प्रयोग किए जाते हैं उनमें केमिकल होता है। इससे पेट संबंधी विकार हो सकते हैं।
डॉ. रंजन रॉय, फिजिशियन