अजमेर जिले के साथ प्रदेशभर में सरकारी एवं निजी स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था बदहाल है। कई स्कूलों में 5 से 10 प्रतिशत विद्यार्थी ही उपस्थित हो रहे हैं। निजी स्कूलों में करीब 20 प्रतिशत अभिभावक अभी भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं।
ऑफलाइन शिक्षण में यह परेशानी -डेढ़ दो साल से विद्यार्थी का शिक्षण कार्य से जुड़ाव नहीं।
-प्राथमिक कक्षाओं में सरकारी स्कूल के बच्चों को नए सिरे से अंक ज्ञान, स्वर ज्ञान, अंग्रेजी का ज्ञान करवाना पड़ रहा है।
-प्राथमिक कक्षाओं में सरकारी स्कूल के बच्चों को नए सिरे से अंक ज्ञान, स्वर ज्ञान, अंग्रेजी का ज्ञान करवाना पड़ रहा है।
-लम्बे समय से स्कूल से दूर रहने से नए सिरे से फाउंडेशन तैयार करनी पड़ रही है।
-बच्चों में स्कूल में निरंतरता का अभाव। -गतिशीलता का अभाव, कार्य में रुकावट।
-कई छोटे बच्चे दो साल प्रमोट होने से अचानक नए विषय बढ़ गए।
-बच्चों में स्कूल में निरंतरता का अभाव। -गतिशीलता का अभाव, कार्य में रुकावट।
-कई छोटे बच्चे दो साल प्रमोट होने से अचानक नए विषय बढ़ गए।
-कई स्कूल में 50 प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति के चलते प्रभावित। ऑनलाइन शिक्षण में यह अड़चनें -सभी बच्चों के पास स्मार्ट मोबाइल उपलब्ध नहीं है।
-कई बच्चों के अभिभावक स्मार्ट मोबाइल ज्यादा समय बच्चों के पास नहीं रहने देते।
-कई बच्चों के अभिभावक स्मार्ट मोबाइल ज्यादा समय बच्चों के पास नहीं रहने देते।
-ग्रामीण क्षेत्र में नेटवर्क प्रॉब्लम।
-शनिवारीय क्विज ऑनलाइन नहीं हो पा रही है। -स्कूल में पढऩे वाले बच्चे ऑनलाइन शिक्षण से कर रहे किनारा। अब कोरोना का कम, डेंगू का ज्यादा डर दो साल से कोरोना से डरे-सहमे बच्चे एवं अभिभावक अब मौसमी बीमारी से डर रहे हैं। कई अभिभावक डेंगू के खतरे को भांप कर बच्चों को घर पर ही रख रहे हैं। कोविड के नए केस आने के साथ बच्चों को फिर स्कूल जाने से रोक रहे हैं कुछ अभिभावक।
-शनिवारीय क्विज ऑनलाइन नहीं हो पा रही है। -स्कूल में पढऩे वाले बच्चे ऑनलाइन शिक्षण से कर रहे किनारा। अब कोरोना का कम, डेंगू का ज्यादा डर दो साल से कोरोना से डरे-सहमे बच्चे एवं अभिभावक अब मौसमी बीमारी से डर रहे हैं। कई अभिभावक डेंगू के खतरे को भांप कर बच्चों को घर पर ही रख रहे हैं। कोविड के नए केस आने के साथ बच्चों को फिर स्कूल जाने से रोक रहे हैं कुछ अभिभावक।
यह है अजमेर जिले में नामांकन की स्थिति 161432 छात्र 170155 छात्राएं 331587 कुल नामांकन (सरकारी स्कूलो में) राज्य सरकार ऑनलाइन चला रही यह प्रोग्राम
-स्माइल 1.0 कार्यक्रम -स्माइल 2.0
-स्माइल 1.0 कार्यक्रम -स्माइल 2.0
-स्माइल 3.0
-ऑनलाइन क्विज (व्हाट्सअप पर) -शिक्षा दर्शन
-शिक्षावाणी शिक्षकों की कमी होने पर स्मार्टक्लास में मिशन ज्ञान एप का उपयोग स्कूलों में अब शिक्षा पटरी पर आ रही है। निरीक्षण के दौरान पाया कि 70 प्रतिशत उपस्थिति आ रही है। जिन स्कूल में संबंधित विषय के शिक्षक नहीं हैं उनके विकल्प के रूप में मिशन ज्ञान एप के वीडियो उपयोगी साबित हो रहे हैं। माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्कूलों की स्मार्टक्लास में इन वीडियो को चलाकर भी बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।
-ऑनलाइन क्विज (व्हाट्सअप पर) -शिक्षा दर्शन
-शिक्षावाणी शिक्षकों की कमी होने पर स्मार्टक्लास में मिशन ज्ञान एप का उपयोग स्कूलों में अब शिक्षा पटरी पर आ रही है। निरीक्षण के दौरान पाया कि 70 प्रतिशत उपस्थिति आ रही है। जिन स्कूल में संबंधित विषय के शिक्षक नहीं हैं उनके विकल्प के रूप में मिशन ज्ञान एप के वीडियो उपयोगी साबित हो रहे हैं। माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्कूलों की स्मार्टक्लास में इन वीडियो को चलाकर भी बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।
शाहबु²ीन खान चीता, एपीसी, समसा इनका कहना है बच्चों में जो पुराना गेप है उसे भरने के लिए मध्यावधि अवकाश में पर्याप्त होमवर्क दिया गया है। ऑनलाइन क्लासेज जारी हैं। गाइड लाइन अनुसार 50-50 प्रतिशत उपस्थिति के चलते जो बच्चे घर पर हैं उन्हें ऑनलाइन कंटेन्ट उपलब्ध करवाया जा रहा है।
धर्मेन्द्र जाटव, जिला शिक्षा अधिकारी मा. (मुख्यालय) अजमेर