पूरी टीम बाहर, रैफरी मूक दर्शक बने वॉलीबॉल के फाइनल मुकाबले में जब पूरी टीम ही बॉल ढूंढने बाहर पहुंच गई तो रैफरी मूक दर्शक बने रहे। दूसरी टीम भी मैदान में बतियाने के लिए खड़ी हो गई।
खेल भावना के विपरीत व्यवस्था फाइनल मुकाबले की प्रतिद्वंद्धी टीम के खिलाड़ी बॉल के बहाने खिलाडि़यों को थकाने में भी नहीं चूके। खिलाड़ी बाहर दौड़कर जाएं फिर आकर वापस खेलें उससे पहले उस तक सर्विस से पॉइंट अर्जित करने की मंशा से खिलाड़ी बार-बार खिलाडि़यों को टार्गेट करते रहे।
यह होनी चाहिए थी व्यवस्था वॉलीबॉल मैच के दौरान बाहर से बॉल पकड़ने के लिए मैच बॉय के रूप में कुछ खिलाडि़यों को जिम्मेदारी दी जाती। अन्य शारीरिक शिक्षक जो मात्र दर्शक बने थे वे व्यवस्थाओं में सहयोग करते। दोनों टीमों के कोच या अन्य सहयोगी खिलाड़ी इस व्यवस्था में सहयोग करते, ताकि मैच खेलते खिलाड़ी को बेवजह परेशान नहीं होना पड़े। इस संबंध में कोच व शारीरिक शिक्षक कोई जवाब नहीं दे पाए, जबकि खिलाडि़यों ने अव्यवस्थाओं के प्रति नाराजगी जताई।