scriptशहर की हवा में घुली सिंधियत की खुशबू, जैको चंवदो झूलेलाल… की रही गूंज | The fragrance of Sindhiyat dissolved in the air of the city | Patrika News

शहर की हवा में घुली सिंधियत की खुशबू, जैको चंवदो झूलेलाल… की रही गूंज

locationअजमेरPublished: Mar 23, 2023 11:24:54 pm

Submitted by:

Dilip

सिंधी समाज ने निकाला परम्परागत जुलूस, जगह-जगह पुष्पवर्षा से हुआ स्वागत
लाज मेरी पत रखियो भला झूले लालन.., वाह रे सिंधी वाह.., आयोलाल झूलेलाल.., जेको चवंदो झूलेलाल…तेझा थिंदा बेड़ाे पार… सरीखे नारों से जुलूस मार्ग गुंजायमान हो गया। सिंधी समाज केे इष्ट देव झूलेलाल के अवतरण दिवस पर गुरुवार को चेटीचंड पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया।

शहर की हवा में घुली सिंधियत की खुशबू, जैको चंवदो झूलेलाल... की रही गूंज

शहर की हवा में घुली सिंधियत की खुशबू, जैको चंवदो झूलेलाल… की रही गूंज

अजमेर. लाज मेरी पत रखियो भला झूले लालन.., वाह रे सिंधी वाह.., आयोलाल झूलेलाल.., जेको चवंदो झूलेलाल…तेझा थिंदा बेड़ाे पार… सरीखे नारों से जुलूस मार्ग गुंजायमान हो गया। सिंधी समाज केे इष्ट देव झूलेलाल के अवतरण दिवस पर गुरुवार को चेटीचंड पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। सिंधी समाज के विभिन्न संगठनों ने जुलूस मार्ग में स्वागत द्वार बनाए। लोग घंटों धूप में खड़े होकर झूलेलाल की झांकियों की एक झलक पाने के लिए उत्साहित नजर आए। शहर में जगह जगह आईसक्रीम, मिल्करोज, फल आदि वितरित किए गए। रंगीन लाइटों के बीच डीजे पर सिंधी गीतों की धुन पर युवा देर शाम तक थिरकते नजर आए।धार्मिक कार्यक्रमों संग महोत्सव का आगाज
शहर में सिंधी समाज ने चेटीचंड का पर्व हर्षाेल्लास से मनाया। सिंधी समाज के लोगों ने ईष्टदेव झूलेलाल के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन किया। सिंधी पंचायत व सिंधी समाज की प्रमुख सामाजिक संस्थाओं ने ध्वज पताका फहराई। दिल्ली गेट स्थित प्राचीन लाल साहिब मंदिर झूलेलाल धाम पर पूजा अर्चना के साथ कार्यक्रम शुरू हुआ। सिंधी संतोें के सानिध्य में पूजन कार्यक्रम हुए। शहर के चार दिवारी में पुराने सिंधी मंदिरों, अजय नगर, वैशाली नगर, दिल्ली गेट आदि मंदिरों में पूरे दिन धार्मिक कार्यक्रम हुए।
जुलूस मार्ग को सजायाचेटीचंड का जुलूस शहर के प्रमुख मार्ग से निकाला गया। करीब एक किलोमीटर लंबे जुलूस ने करीब आठ किलोमीटर लंबा सफर तय किया। इस दौरान सड़क के दोनों ओर जुलूस देखने के लिए सैकड़ों महिलाएं व पुरुष घंटों जुलूस देखने के लिए धूप में खड़े नजर आए।
आखिरी झांकी आशागंज तो पहली केसरगंज के पासजुलूस में करीब 50 झांकियों के जुलूस की लंबाई करीब डेढ किलोमीटर थी। पहली झांकी ऊसरी गेट केसरगंज के निकट पहुंच गई। तब आखिरी झांकी ट्रांबे स्टेशन पहुंची। इसी से जुलूस की लंबाई का अंदाजा लगाया जा सकता है।

ट्रेंडिंग वीडियो