कर सकते हैं फर्जीवाड़ा जानकारों के अनुसार कोई व्यक्ति फर्जीवाड़ा करना चाहे तो एक चालान का शुल्क देकर उससे सौ या हजार गुणा के चालान के रूप में उपयोग कर सकता है। बता दें कि ई-स्टाम्प पेपर का उपयोग सिर्फ जमीन-मकान का निबंधन कराने के लिए ही नहीं होता है। इससे शपथ-पत्र (एफिडेविट), करारनामा (एग्रीमेंट), विल (वसीयतनामा) समेत कई दस्तावेजी कार्य किए जा सकते हैं। हालांकि इसका सीरियल नंबर (जीआरएन नंबर) एक रहेगा, लेकिन इसे बहुत ध्यान देने पर जमीन-मकान की रजिस्ट्री में ही पकड़ा जा सकता है। बाकी के काम में यह फर्जीवाड़ा पकडऩे का कोई सिस्टम नहीं है।
बनती है ऑटो पीडीएफ फाइल स्टाम्प वेंडर बताते हैं कि ई-ग्रास लॉगइन करके पेमेंट करते ही चालान की ऑटो-पीडीएफ फाइल बन जाती है, जो गलत है। इससे एक बार शुल्क देकर पीडीएफ की कई ओरिजिनल कॉपी निकाली जा सकती हैं। यदि पीडीएफ नहीं बनती, तो एक व्यक्ति एक बार में एक ही प्रिंट निकाल पाता। इससे जितनी कॉपी चाहिए, उसके लिए उतनी बार शुल्क देना पड़ता। ईमानदार व्यक्ति के लिए यह सिस्टम तो ठीक है, लेकिन फर्जीवाड़ा करने वालों को तो मुंहमांगी मुराद मिल गई।
हो रहे परेशान विभाग की ओर से नोटिस थमाए गए राघवेन्द्र सिंह, नरेन्द्र सिंह, नीरज कुमार आदि ने पत्रिका को बताया कि एक बार तो रजिस्ट्री के दौरान उनका पैसा चला गया। अब वसूली का नोटिस मिलने से दोहरी मार पड़ रही है। ऊपर से 12 फीसदी ब्याज भी देना पड़ेगा। विभाग को चाहिए कि फर्जीवाड़े की जड़ में जाकर गिरोह का राजफाश करना चाहिए।
इनका कहना है जिनके ई-चालान में गड़बड़ी पाई गई है उन्हें नोटिस थमा कर वसूली की जा रही है। कुछ ने राशि जमा भी करा दी है।
– चरण सिंह, तहसीलदार, धौलपुर