scriptआशियाने बनाने वाला दर-दर चूल्हा फूंकने को मजबूर | The house builder forced to burn the stove | Patrika News

आशियाने बनाने वाला दर-दर चूल्हा फूंकने को मजबूर

locationअजमेरPublished: Dec 07, 2021 04:55:23 pm

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अस्पताल में पत्नी के साथ खुले में रहने को मजबूर, पत्थरों का चूल्हा, बना कटोरी में चाय बनानी मिली काजल

आशियाने बनाने वाला दर-दर चूल्हा फूंकने को मजबूर

आशियाने बनाने वाला दर-दर चूल्हा फूंकने को मजबूर

चन्द्र प्रकाश जोशी

अजमेर. औरों के लिए घरौंदे (आशियाने) बनाने वाला परिवार खुद खुले आसमान तले रहने को मजबूर हैं। रहने को कहीं ठौर नहीं तो जहां काम वहीं बिस्तर, कपड़े व कुछ टूटे-फूटे बर्तन लेकर दर-दर भटक रहा है परिवार। बदतर स्थिति तो तब नजर आई जब अस्पताल परिसर में ही यह परिवार नाले के पास शरण लिए हुए है। अजमेर जिले के एक छोटे से गांव निवासी दम्पती मजदूरी कर अजमेर में गुजर बसर कर रहा है। अस्पताल में बनने वाले टैंक, प्लेटफार्म का निर्माण के चलते यह परिवार अपना सामान, बिस्तर आदि साथ लेकर पहुंच गया। इनके रहने को ना कोई कमरा है, ना कोटड़ी। नाले के पास व ट्रांसफार्मर के पास ही महिला काजल खुले में पत्थरों का चूल्हा बनाकर पति व खुद के लिए खाना पकाती हैं। काजल ने बताया कि खानाबदोश खाना बनाने के बर्तन तक चोरी कर ले गया। कटोरी में चाय बनानी पड़ रही है। उसने बताया कि पति कारीगरी काम कर रहे हैं, वह खुद मिर्गी रोग से पीडि़त हैं।
उम्मीदें प्रशासन व सरकार से

इस पीडि़त परिवार के उम्मीद है कि अगर अस्पताल में काम कर रहे हैं तो यहां कोई कोटड़ी या कमरा उपलब्ध करवाया जाए। शहर में काम के लिए आते हैं लेकिन रहने की सुविधा नहीं मिलती है। निर्माण करवाने वाली एजेंसी/ठेकेदार या तो सर्दी में इन्हें रहने की व्यवस्था करवाए या कोई कोटड़ी बनाकर इन्हें रखें। प्रशासन व सरकार से उम्मीद है, कोई माधान निकलेगा।
संघर्ष की सीख

जो घरौंदे बनाने वाले कारीगर है कम से कम इन्हें अस्थाई घरौंदों में रखा जाए। मजदूरी व मेहनतकश लोग अपने स्वाभिमान से भी समझौता नहीं करते हैं। रात्रि में नशा करने वाले खानाबदोश बर्तन तक चुरा ले जाते हैं। काजल के अनुसार आए दिन इस तरह की घटनाएं हों रही हैं लेकिन कहां जाएं। हर व्यक्ति को संघर्ष से जूझने के लिए काजल व पति की कहानी पर्याप्त होंगी।
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