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सरकार की मंशा मुफ्त पढ़ें बच्चे, स्कूल निकाल रहे उन्हीं से खर्चे

locationअजमेरPublished: Nov 23, 2021 12:47:47 am

Submitted by:

Dilip

– महात्मा गांधी राजकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का मामला – स्कूल प्रबंधन समितियों ने तय कर दी 550 रुपए विकास शुल्क की राशि
– गरीब-असहाय लोगों पर भारी पड़ रही राशि
निजी अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की बेहताशा फीस से मुक्ति दिलाने की मंशा से राज्य सरकार ने निर्धन-ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को अंग्रेजी की शिक्षा दिलाने के लिए हर ब्लॉक में सरकारी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोल दिए।

Himachal Pradesh Board of School Education

Himachal Pradesh Board of School Education

 धौलपुर. निजी अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की बेहताशा फीस से मुक्ति दिलाने की मंशा से राज्य सरकार ने निर्धन-ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को अंग्रेजी की शिक्षा दिलाने के लिए हर ब्लॉक में सरकारी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोल दिए। जिससे नि:शुल्क अंग्रेजी शिक्षा शिक्षा लेकर बच्चे परिपक्व हो सकें। साथ ही अंग्रेजी माध्यम में पढऩे के बच्चों व अभिभावकों के ख्वाब पूरे हो सकें। लेकिन जिले में स्कूलों में बनी विद्यालय विकास प्रबंधन समितियों (एसडीएमसी) ने बच्चों पर विकास शुल्क की राशि थोप दी है। यह राशि विद्यालय विकास के नाम पर खर्च करने की बात कही गई है, लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से इस प्रकार के कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं। शिक्षा विभाग के आला अधिकारी इस मामले को एसडीएमसी का प्रस्ताव बता कर पल्ला झाड़ रहे हैं। विद्यालय विकास के लिए राज्य सरकार की ओर से समसा के तहत मोटी राशि दी जाती है। अगर किसी स्कूल में निर्माण कार्य कराने हैं तो भामाशाहों, दानदाताओं से भी सहयोग लिया जा सकता है। निजी विद्यालयों में मोटी फीस, इसलिए सरकारी चुन रहे अभिभावक
राज्य सरकार ने गत दिनों दावा किया था कि सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में एडमिशन के लिए भारी भीड़ उमड़ रही है। स्थिति यह है कि प्रवेश के लिए बच्चों की लॉटरी निकालनी पड़ रही है। इसके पीछे निजी विद्यालयों में मोटी फीस को कारण बताया गया। कोरोना काल में भी लोगों की आर्थिक स्थिति कमतर हुई है। इस कारण अभिभावक भी सरकारी विद्यालयों को चुन रहे हैं। जिससे फीस, किताबों व यूनिफॉर्म की सुविधा मिल सके। गत दिनों बालिका ने की थी शिकायत गत दिनों पुरानी छावनी स्थित महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय अंग्रेजी माध्यम स्कूल में लगे प्रशासन गांवों के संग शिविर में उक्त विद्यालय में पढऩे वाली बालिका मुस्कान ने एसडीएम से शिकायत भी की थी, जिसके बाद मामला प्रकाश में आया। इस पर जिला शिक्षा अधिकारी ने भी विकास शुल्क की राशि वापस कराई थी। मरम्मत कार्य कराने व स्टेशनरी पर खर्च करने का बहाना शिक्षा अधिकारी व विद्यालय प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि एसडीएमसी की ओर से लिए गए प्रस्ताव के चलते यह विकास शुल्क 550 तय किया गया है। इस राशि विद्यालय में मरम्मत कार्य कराने तथा स्टेशन खरीदने व पुरानी किताबों को सही कराने पर खर्च की जाएगी। जिले में 1842 विद्यार्थी जिले में पांच महात्मा गांधी अंग्रेजी विद्यालय हैं। इनमें धौलपुर शहर में सिटी कोतवाली, ग्रामीण क्षेत्र में पुरानी छावनी, राजाखेड़ा, गढ़ी लज्जा तथा धनोरा स्कूल शामिल हैं। इन पांचों स्कूलों में 1842 छात्र संख्या है। इनसे 550 रुपए विकास शुल्क वसूला जा रहा है। इससे करीब दस लाख रुपए की राशि प्राप्त होगी। इनका कहना है महात्मा गांधी स्कूल में 550 रुपए विकास शुल्क वसूलना अनुचित है। जब सरकार नि:शुल्क शिक्षा के लिए विधेयक लेकर आ रही है तो यह राशि वसूलना गलत है। सामान्य स्कूलों में विकास शुल्क के 50-100 रुपए लिए जाते हैं। अंग्रेजी माध्यम के नाम पर विकास शुल्क बढ़ाना गलत है। यादवेन्द्र शर्मा, प्रदेश संयोजक, संघर्ष समिति, राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत।
जिले में पांच सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूल हैं। इनमें विद्यालय विकास प्रबंधन समिति की ओर से प्रस्ताव लेकर विकास शुल्क के लिए 550 रुपए की राशि ली जा रही है, जिसकी रसीद दी जाती है। यह राशि विद्यालय भवन मरम्मत सहित अन्य मदों में खर्च की जाती है। समितियों का गठन राज्य सरकार के निर्देश पर किया गया है।
– अरविंद शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक, धौलपुर

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