अटेंडेंट करते यह काम जेएलएन अस्पताल में मरीजों के पास एक से अधिक अटेंडेंट रहने से संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है, लेकिन जब पत्रिका ने अटेंडेंट से बात की तो उन्होंने स्वयं के जिम्मे रोगी के लिए वार्ड में ऑक्सीजन सिलेंडर व मरीज के खून की जांच के सैंपल आदि लाने-ले जाने जैसे काम गिना दिए। ऐसे में एक से अधिक अटेंडेंट के वार्ड में रुकने की विवशता बनी हुई है।
लापरवाही ऐसी भी. . . . अस्पताल में कोविड ओपीडी एवं संक्रमित मरीजों के वार्ड की खिड़कियों के पास झुंड में बैठकर कुछ परिजन भोजन करते हैं। शनिवार को भी टिफिन खोलकर कुछ परिजन भोजन करते मिले। यहां पास में नाली, वार्ड की खिड़कियों के पास बैठने व संक्रमित मरीजों की आवाजाही से खुले में भोजन करने से संक्रमण की संभावनी बढ़ जाती है।
. . .हालांकि ऐसे हैं निर्देश मेडिकल शिक्षा सचिव वैभव गालरिया व अन्य वीसी में हिदायत दी कि वार्ड में मरीज के पास सिर्फ एक अटेंडेंट और वो भी पीपीई किट में रहने के निर्देश हैं। वहीं मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. वी.बी. सिंह तथा अधीक्षक डॉ. अनिल जैन ने भी सभी चिकित्सक वार्ड प्रभारियों को संक्रमित के साथ एक ही अटेंडेंट रहना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए वार्डों के प्रवेश मार्ग पर सुरक्षा गार्ड को सख्त हिदायत भी दी गई है।
मरीज के परिजन (अटेंडेंट) यह रखें ध्यान -वार्ड में पीपीई किट में रहें। -खाना-पानी लाने वाले अन्य परिजन को अस्पताल के मुख्य भवन से दूर रखें। -अन्य परिजन को अस्पताल में नहीं रखें।
-मरीज के पास अटेंडेंट बार-बार नहीं बदले, ताकि घर से सभी सदस्य संक्रमण की चपेट में आने से बच सकें।