यह है प्रमुख वजह -भू-जल स्तर गिरने से खेती से विमुख हो रहे किसान। -जमीन के अच्छे दाम मिलने से खेत बेच रहे किसान।
-फसलों का उत्पादन कम, भाव कम मिलने से भी परेशान।
-फसलों का उत्पादन कम, भाव कम मिलने से भी परेशान।
सब्जी का भण्डार था पहले यहां पुष्कर के आसपास चावण्डिया, गनाहेड़ा, बांसेली आदि क्षेत्र में फूल गोभी, पत्ता गोभी, मटर, टमाटर सहित अन्य सब्जियों का बम्पर उत्पादन होता रहा है। हाथीखेड़ा, बोराज, माकड़वाली, लोहागल, तबीजी, आदि गांवों के भी हालात ऐसे ही रहे। मगर धीरे-धीरे यहां पहले खेतों में मकान बने अब आसपास के क्षेत्रों में कॉलोनियां कटने से आबादी बसने लगी है।
पहले अंधाधुंध जल दोहन, अब फ्लोराइडयुक्त पानी चावण्डिया, देवनगर, बांसेली, मोतीसर, गगवाना, तबीजी आदि गांवों में पहले ट्यूबवेल से पानी का अंधाधुंध दोहन होता रहा। अब 400-500 फीट गहराई में थोड़ा-बहुत पानी है तो उसमें फ्लोराइड की मात्रा अधिक है। अधिकांश नलकूप सूख गए हैं।
यूं बदल रहा ट्रेंड अधिक कीमत मिलने पर शहर के पास की जमीन किसान बेचकर बारानी जमीन खरीद रहे हैं। जो जमीन खेती के काम नहीं आ रही थी वहां अब ट्यूबवेल लगाकर फव्वारा व ड्रिप इरिगेशन पद्धति से खेती कर रहे हैं। पुष्कर के मोतीसर में रेतीले टीबे इसका उदाहरण हैं।
जिले में यह रहा बुवाई का दायरा 2 लाख 20 हजार 244 हैक्येयर में रबी की बुवाई 2 लाख 40 हजार 200 हैक्टेयर में खरीफ की बुवाई इनका कहना है यह बात सही है कि शहर के नजदीकी क्षेत्रों में किसानों को अच्छी राशि मिलने से खेती की जमीन बेची जा रही है। कुछ ने जमीन बेच दी तो कुछ ने कॉलोनियां काट दी हैं। खेती का दायरा घटा तो है। लेकिन जिन लोगों को खेती करनी है वे बारानी जमीन खरीद कर उसे तैयार कर रहे हैं।
जितेन्द्र सिंह शक्तावत उप निदेशक कृषि (विस्तार) किसानों की मजबूरी है, भू-जल स्तर गिरने व सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था नहीं होने पर लगातार पैदावार भी घट रही है। एक साथ मोटी रकम मिलने से किसान खेत भी बेच रहे हैं।
बालूराम भींचर
जिलाध्यक्ष, भारतीय किसान संघ
जिलाध्यक्ष, भारतीय किसान संघ