थानाप्रभारी रामअवतार चौधरी ने बताया कि रिर्जवेशन काउंटर के पास यात्रियों को रिर्जवशन टिकट बनाकर ठगी की वारदात अंजाम देने वाले पश्चिम बंगाल कूच बिहार निासी सुनील बर्मन पुत्र नरेन्द्र बर्मन को पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर दबोच लिया। पुलिस को लगातार रेलवे के रिर्जवेशन काउंटर के आसपास रिर्जवेशन टिकट बनाकर ठगी की वारदात को अंजाम देने की शिकायत मिल रही थी। शनिवार को आरोपी सुनील बर्मन ने पश्चिम बंगाल हावड़ा निवास वृद्ध शाहबुद्दीन पुत्र मोजेहर मुल्ला को रिर्जवेशन कार्यालय के बाहर लम्बी कतार में मिला। उसने भीड़ से बचने की सलाह देते हुए टिकट देने की बात कही। आरोपी उसे कचहरी रोड स्थित कम्प्युटर की एक दुकान पर ले गया। जहां उसने टिकट का प्रिंट निकाल कर दे दिया। बदले में उसने उससे 1200 रुपए लिए। उसने जब रेलवे स्टेशन पर पुलिस के जवान को दिखाया तो उसने टिकट फर्जी होना बताया। उसने आरोपी की तलाश की लेकिन उसका सुराग नहीं लगा। पुलिस ने शाहबुद्दीन की शिकायत पर धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज बनाकर हेरफेर करने का मामला दर्जकर लिया।
हुलिया आया काम चौधरी ने बताया कि पीडि़त शाहबुद्दीन ने ठग सुनील बर्मन का हुलिया बताया तो जीआरपी व आरपीएफ की टीम तलाश में जुट गई। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपी की तलाश की। पुलिस ने रविवार सुबह अजमेर रेलवे स्टेशन से दबोच लिया।
अब तक 1500 यात्री शिकार पुलिस पूछताछ में सुनील ने बताया कि उसने अब तक 1000 से 1500 यात्रियों का ठगी का शिकार बना चुका है। वह रेल टिकट के अलावा यात्रियों को भीड़ का हवाला देकर हवाई टिकट भी बेच देता है। करीब 50 यात्रियों को हवाईजहाज का फर्जी टिकट बेच चुका है। इसमें सबसे अधिक 48 हजार रुपए का बैंगलोर से कोलकाता का विस्टारा एररजेट टिकट है।
ऐशो आराम पर खर्च रकम सुनील ने बताया कि अब तक वह 15-20 लाख रुपए की ठगी की वारदातें अंजाम दे चुकी है। वारदात में मिलने वाली रकम से वह ऐशो-आराम में खर्च करता है। वह पांच सितारा होटल में ठहरना, हवाई यात्रा करना, महंगी रेलगाड़ी में सफर करने शौकिन है।
महाराज ट्रेन की ख्वाइश सुनील ने बताया कि अब तक वह अपनी सभी ख्वाइश पूरी कर चुका है लेकिन एक ख्वाइश अभी बाकी है। वह ख्वाइश महाराजा ट्रेने में यात्रा करना है। वह देशभर में घूम-घूम कर रेलवे स्टेशन के रिर्जवेशन काउंटर के आसपास दर्जनों वारदातें अंजाम दे चुका है। प्रमुख शहरों में दिल्ली, कोलकाता, बैंगलूरू, चैन्नई, सिलीगुड़ी, सियालदाह, हावड़ा, वर्धमान, जयपुर, अजमेर, महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाड़ू के कई शहर शामिल है।
ऑन लाइन टिकट का झांसा आरोपी ने पूछताछ में तरीका वारदात का खुलासा करते हुए बताया कि 4-5 साल से वह यह काम कर रहा है। उसने ठगी की शुरूआत आईआरसीसीटीसी वेबसाइट पर सीओडी ऑपरेशन/ई-पेय लेटर का इस्तेमाल करते हुए ई-टिकट फॉरमेंट को मोबाइल पर सेव कर लिया। इसके बाद यू-ट्यूब साइट के माध्यम से टिकट में एडीटिंग करना सीख गया। इसके बाद देश के बड़े रेलवे स्टेशनों पर रिर्जवेशन के लिए लगने वाले लम्बी कतार में जरूरतमंद की तलाश करता। उन्हें अपने झांसे में लेकर मोबाइल से ऑन लाइन कन्फर्म टिकट निकालने का झांसे में ले लता। इसके बाद पहले से सेव ई-टिकट में शिकार यात्री का नाम, ट्रेन का नाम एडिट कर टिकट का प्रिंट नजदीकी ई-मित्र/साइबर कैफे से निकलकर थमा देता। यात्री सफर के लिए ट्रेन में चढ़ता तो उसको वास्तविकता का पता चलता था।
यात्रियों का फांसता है बोली से पुलिस पड़ताल में सुनील ने बताया कि रेलवे स्टेशन रिर्जवेशन काउंटर पर उसकी ठगी का शिकार पश्चिम बंगाल, बिहार के यात्री निशाने पर रहते थे। दसवीं कक्षा तक पढ़ा सुनील का अंग्रेजी बोलने पर अच्छा कमांड है। बिहारी व बंगाली भाषा के साथ अंग्रेजी बोलकर यात्रियों को आसानी से जाल में फांस लेता था। इसके बाद उसे रिर्जवेशन टिकट के बदले मोबाइल से निकाल फर्जी टिकट थमा देता था।
टीम में यह थे शामिल चौधरी ने बताया कि रेल यात्रियों के साथ लगतार हो रही ठगी की वारदात पर एसपी पूजा अवाना ने मामले में कार्रवाई के आदेश दिए। एएसपी भोलाराम, सीओ विश्नाराम के निर्देशन में उप निरीक्षक राजाराम, सिपाही सुमेरचन्द, भंवरलाल, दिलीप सिंह, जोगेन्द्र सिंह, आरपीएफ स्टाफ में आईपीएफ दिनेश कुमार, उप निरीक्षक अमरीक सिंह, हैडकांस्टेबल दुर्गाशंकर और आरपीएफ सीसीटीवी कैमरा ऑपरेटर शशिभूषण ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।