उन्होंने केंद्रीय मंत्री पुरी को बताया कि भाजपा विधायक, महापौर समेत अन्य पदाधिकारियों ने स्मार्ट सिटी में व्यापक अनियमितताएं, बिना सहमति एवं अनियमित रूप से निर्माण कार्यों के संबंध में जिला कलक्टर एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड को ज्ञापन दिए, लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। स्मार्ट सिटी मिशन में प्रशासन की ओर से मनमर्जी से पूर्व में स्वीकृत कार्यों को निरस्त कर कई ऐसे कार्य स्वीकृत कर दिए गए जो कि स्मार्ट सिटी मिशन के मूल उद्ेश्यों के अनुरूप नहीं हैं।
इन बिन्दुओं पर भी हुई चर्चा – अजमेर की ऐतिहासिक आनासागर झील के चारों तरफ पाथवे बनाकर झील का सौन्दर्यीकरण किया जा रहा है, लेकिन पाथवे बनाने में झील में अवैध रूप से मिट्टी भरकर इसके व्यास को छोटा कर दिया गया। एफटीएल के मानकों एवं वैटलैंड की स्थिति के उल्लंघन एवं भू-माफिया की ओर से अवैध रूप से कीमती जमीनों पर कब्जा कर अवैध व्यवसायिक/आवासीय निमार्ण कार्य।
– स्मार्ट सिटी में शहर के लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना मूलभूत प्राथमिकता थी। इसमें 24 घंटे में प्रत्येक घर को पानी उपलब्ध कराना, शहर के ड्रेनेज सिस्टम को ठीक करना, सीवरेज सिस्टम को सही करना एवं अच्छी सडक़ें उपलब्ध कराना था, लेकिन प्राथमिकता में यह नहीं होकर सरकारी स्तर में सुविधा देने वाली योजनाएं बनी हैं।
– स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट मे चल रहे कार्य में विभिन्न स्थानों पर गुणवत्ताहीन निर्माण सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। इसके कारण निर्माण की गुणवत्ता पर ही प्रश्नचिन्ह खड़े हो गए हैं। – स्मार्ट सिटी के चलने वाले प्रोजेक्टस में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी सुनिश्चित की गई है। अजमेर में इसकी मूल भावना के वितरीत जनप्रतिनिधियों को कहीं भी शामिल नहीं किया जाता है और न ही राय ली जा रही है।