एमपी में पर्यटक निहाल, हमारी तो व्यवस्थाएं ही बदहाल
अजमेरPublished: Nov 12, 2021 01:56:31 am
नाम को चम्बल सफारी शुरू लेकिन, न सुविधाएं और न संसाधन – उबड़-खाबड़ पथरीले रास्ते से पहुंचना पड़ता है बोट तक
– मप्र में हो रही पावणों की खातिर
नगरपरिषद ने दीपावली पर आनन-फानन में चम्बल नदी में पर्यटकों के लिए सफारी शुरू तो कर दी लेकिन, व्यवस्थाएं पूरी तरह बदहाल हैं। जबकि, चंबल के दूसरी तरफ मध्यप्रदेश इलाके में बोटिंग करने वाले पर्यटकों की बहार है। वहां की चकाचौंध व्यवस्थाओं के कारण हमारे पर्यटक भी वहां अनायास ही खिंचे चले जा रहे हैं।
एमपी में पर्यटक निहाल, हमारी तो व्यवस्थाएं ही बदहाल
-धौलपुर. नगरपरिषद ने दीपावली पर आनन-फानन में चम्बल नदी में पर्यटकों के लिए सफारी शुरू तो कर दी लेकिन, व्यवस्थाएं पूरी तरह बदहाल हैं। जबकि, चंबल के दूसरी तरफ मध्यप्रदेश इलाके में बोटिंग करने वाले पर्यटकों की बहार है। वहां की चकाचौंध व्यवस्थाओं के कारण हमारे पर्यटक भी वहां अनायास ही खिंचे चले जा रहे हैं। मप्र में 15 अक्टूबर से ही चम्बल सफारी शुरू कर दी थी, लेकिन नगरपरिषद धौलपुर पानी उतरने के इंतजार में बैठी रही। इस संबंध में राजस्थान पत्रिका ने ‘नौकायन से गुलजार एमपी घाट, हमारी सरकार देख रही बाटÓ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया तो दीपावली पर आनन-फानन में नगर परिषद ने पुरानी बोट डालकर ही चम्बल सफारी शुरू कर दी। परिषद ने बोटिंग तो शुरू कर दी लेकिन, बोटिंग स्थल पर न तो सुविधाएं विकसित की हैं और न ही पर्याप्त संसाधन मुहैया कराए हैं। ऐसे में पर्यटकों का भी टोटा पड़ा हुआ है। न प्लेटफॉर्म, न बनाया रास्ता हर बार की तरह इस बार नगरपरिषद की ओर से चम्बल सफारी करने के लिए आने वाले पर्यटकों के लिए न तो प्लेटफॉर्म बनाया है और न ही अस्थायी कमरा तैयार करवाया है। वहीं, रास्ता भी अभी तक उबड़-खाबड़ बना हुआ है। इतना ही नहीं बोट तक जाने के लिए भी रास्ते को समतल नहीं कराया है। ऐसे में पर्यटकों को बोट तक पहुंचने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। वहीं नदी में गिरने का भय भी बना रहता है। वहीं सागरपाड़ा से चम्बल सफारी स्थल तक जाने वाला रास्ता भी उबड़-खाबड़ ही है, जिसे भी सही नहीं कराया है, जिससे वाहनों के आवागमन में भी परेशानी हो रही है। नई बोट का इंतजार बरकरार नगरपरिषद पिछले दो वर्ष से नई बोट खरीद कर पर्यटकों को सुविधा देने का वादा करती आ रही है, लेकिन दूसरा सीजन शुरू होने के बाद भी अभी तक नई बोट का इंतजार खत्म नहीं हो रहा है। परिषद अधिकारी हर बार बोट खरीद के लिए प्रक्रिया चलने बात कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं।