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Tradition: पहाड़ी पर है ये शानदार तीर्थ, यूं पैदल जाते हैं श्रद्धालु

locationअजमेरPublished: Oct 02, 2018 07:27:34 pm

Submitted by:

raktim tiwari

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nareli pilgrims ajmer

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अजमेर.

ज्ञानोदय पदयात्रा कार्यक्रम 7 अक्टूबर को ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र नारेली में मनाया जोगा। ज्ञानोदय पदयात्रा संघ की बैठक में यह फैसला लिया गया। प्रचार प्रसार संयोजक राजकुमार पाण्डया ने बताया कि आचार्य विद्यासागर महाराज एवं मुनि पुंगव सुधासागर महाराज ससंघ के आशीर्वाद से 7 अक्टूबर को प्रात: 6:30 बजे सोनी जी नसियां से पदयात्रा जुलूस प्रारंभ होगा। पूरणचन्द, देवेन्द्र कुमार, धीरज कुमार सुथनिया पदयात्रा को रवाना करेंगे।
यह आगरा गेट, नयाबाजार चौपड़, चूड़ी बाजार, गांधी भवन, मदार गेट, पड़ाव, आदिनाथ मार्ग, केसरगंज जैन मन्दिर, मार्टिनल ब्रिज, पाल बिचला जैन मन्दिर, श्रीनगर रोड, पाŸवनाथ जैन मन्दिर नाका मदार, श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र जैन नगर, पुलिया पर होते हुए ज्ञानोदय तीर्थ क्षेत्र पहुंचेगी।
संयोजक कैलेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि पुरूष सफेद कुर्ते-पायजामे और महिलाएं केसरिया साड़ी पहनकर साथ चलेंगी। ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र में आदिनाथ भगवान के वार्षिक कलशाभिषेक कार्यक्रम होंगे।

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय को स्थाई कुलपति जल्द मिलने की उम्मीद है। सर्च कमेटी ने पांच नाम तय कर पैनल बनाकर सरकार और राजभवन को सौंप दिया है। इनमें से किसी एक को कुलपति नियुक्त किया जाएगा।
तो जल्द होगी नियुक्ति

जयपुर के मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में हुई बैठक के बाद सर्च कमेटी ने कुलपति पद के लिए पांच नाम तय किए। कमेटी में प्रो. आर. के. कोठारी, प्रो. वेद प्रकाश, प्रो. बी. आर. छीपा और प्रो. जी. सी. सक्सेना शामिल थे। यह गोपनीय पैनल राज्य सरकार और राजभवन तक पहुंच गया है।
अधिकृत सूत्रों के मुताबिक सर्च कमेटी ने पांच नाम तय किए हैं। सरकार की सहमति से राज्यपाल कल्याणसिंह पैनल में से एक शिक्षाविद को कुलपति नियुक्त करेंगे। संभवत: इसी महीने या नवम्बर तक महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय को स्थाई कुलपति मिलने की उम्मीद है।
वरना फिर होगी बैठक

पैनल में शामिल नाम को लेकर सरकार और राजभवन में सहमति नहीं बनी तो सर्च कमेटी की बैठक दोबारा कराई जा सकती है। ऐसा कई बार हो चुका है। वर्ष वर्ष 2007-08 में तत्कालीन कुलपति प्रो. मोहनलाल छीपा और पिछले साल प्रो. कैलाश सोडाणी का कार्यकाल खत्म होने पर ऐसा ही हुआ था। पैनल में शामिल नामों पर सरकार और राज्यपाल में सहमति नहीं बनने पर सर्च कमेटी की बैठक दो से तीन बार करानी पड़ी थी।
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