यातायात पुलिस के मालखाने या बाड़े में 190 वाहन ऐसे खड़े हैं जिनका कोई धणी-धोरी नहीं है। सालों से खड़े इन वाहनों से अब यातायात पुलिस का बाड़ा भर चुका है। हालात यह है कि ऐसे वाहनों की संख्या में इजाफा हो रहा है। आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2015 से पहले के 28 वाहन अब भी शहर यातायात पुलिस के बाड़े में खड़े है। इसके बाद साढ़े तीन साल में यह आंकड़ा बढ़कर 190 तक पहुंच गया।
कौन है असली मालिक ? यातायात पुलिस के बाड़े (मालखाने) में खड़े इन वाहनों का असली मालिक कौन है। यह भी पुलिस के लिए पहेली बना हुआ है। पुलिस इनके मालिक की तलाश किए, लेकिन अधिकतर में पता गलत मिला या फिर वाहन मालिक नहीं मिला। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिकतर वाहन या तो चोरी के हैं या फिर चालक कोई दूसरा था। जो चालान के बाद छुड़ाने नहीं पहुंचा।
साल-दर-साल बढ़ रही संख्या
जब्तशुदा वाहनों में चालान न भरने वालों की संख्या साल-दर-साल बढ़ते जा रहे है, जिसका सीधा अर्थ है कि लगातार चोरी हुए वाहनों बिना दस्तावेज औने-पौने दाम में बेचे जा रहे है,। पकड़े जाने पर उन्हें छुड़ाया नहीं जाता है। आंकड़ों पर नजर डालें तो-
साल 2015 से पूर्व 28 वाहन पकड़े, 2015 में 3455 पकड़े और 3436 का निस्तारण के बाद 19 कोई नहीं ले गया। इसके बाद 2016 में 3820 पकड़े गए। इसमे से 3799 वाहन का निस्तारण किया जबकि 21 वाहन अब भी यातायात पुलिस के बाड़े में खड़े है। इसी तरह 2017 में 5829 वाहन पकड़े गए 5810 का निस्तारण और शेष 19 को कोई नहीं ले गया। यूं ही 2018 में 2586 वाहन पकड़े 2452 का निस्तारण और 34 वाहन को कोई नहीं ले गया। इसी तरह चालू वर्ष 2019 में यातायात पुलिस अब तक 1980 पकड़े और 1911 का निस्तारण हो चुका है लेकिन 69 अब भी यातायात पुलिस के बाड़े में खड़े है।
इनका कहना है. जब्तशुदा वाहनों के मालिकों की तलाश की जाती है लेकिन अधिकतर का चालान में भरा गया नाम, पता नहीं मिलता या फिर गलत होता है। ऐसे वाहन दस्तावेज की कमी के चलते ही पड़े रहते हैं।
सुनिता गुर्जर, यातायात निरीक्षक अजमेर