अब याद आ रही ट्रेजरी जहा कोषाधिकारी को बाईपास कर करोड़ों का के भुगतान कर दिए गए वहीं अब स्मार्ट क्लासेस में एक फर्म को जीएसटी दिलाने पर अभियंताओं ने फर्म के पक्ष में एक कमेटी का गठन करवा दिया जिससे कि फर्म को जीएसटी नंबर दिलवाई जा सके जबकि पूर्व में अभियंता ही मना कर चुके हैं तीन वर्ष पूर्व हुआ था टेंडर।
यहां किया खेल स्मार्ट सिटी में बिना स्वीकृत पद के टेंडर कमेटी में भी बदलाव कर दिया गया है। जिनका विभाग में पद स्वीकृत नहीं है उनको भी टेंडर कमेटी में शामिल कर लिया गया है। यह टीपीपी के नियमों का उल्लंघन है ।भारत सरकार की सभी स्मार्ट सिटी ऑफ को जो एडवाइजरी जारी करी गई उसको भी ताक पर रखा जा रहा है। टीजीटी के विपरीत जाकर 200 करोड़ से अधिक का भी भुगतान कर दिया गया बिना काम के ही उपयोगिता सर्टिफिकेट सरकार को भेज पर की चपत ब्याज की लगा दी गई है। इस पर सभी अधिकारी मौन है। कटौती स्मार्ट सिटी के बजट से ही होगी इस प्रकार से अगर हानि आकलन किया जाए तो 2 करोड़ से अधिक का आकलन होगा और यह बढ़ता ही जाएगा।
आरटीपीपी नियम भी दरकिनार बिना वित्त विभाग से अप्रूव्ड मां पुस्तिकाओं से करोड़ों रुपए का भुगतान किया जा रहा है जिनमें नियमों की पालना भी नहीं हो पा रही है। जबकि केंद्र सरकार द्वारा राशि इस तर्ज पर जारी की जाती है कि आरटीपीपी और लेखा नियमों की पालना की जानी अनिवार्य है अन्यथा राशि का दुरुपयोग समझा जाएगा। स्मार्ट सिटी में सहायक लेखा अधिकारी सेकंड का पद है न अतिरिक्त मुख्य अभियंता का फिर भी चहेतो को रखने को नियम विरुद्ध वेतन दिया जा रहा है।
नहीं लगाया जा रहा जुर्माना पीएमसी पर जुर्माना लगाना दूर की बात है मनमर्जी से नियुक्ति दे रखी है पदों पर बिना क्वालिफिकेशन के ही चाहे थे लोगों की नियुक्ति कर रखी है अभियंता और बीएमसी का गठजोड़ मजबूत कर रखा है यह भी आरटीपीपी के अनुसार उल्लंघन है । नए टेंडर लगाने की वजह एक ही कंपनी को जो कि भारत सरकार और विदेशों में भी ब्लैक लिस्टेड रह चुकी है राजस्थान के पीएचडी से भी ब्लैक लिस्ट रह चुकी है लेकिन अजमेर स्मार्ट सिटी सिटी में कंपनी पर अभी तक जुर्माना भी नहीं लगाया गया है ।कमियों को ढकने के लिए रैंकिंग सुधारने के झूठे दावे प्रस्तुत किए गए जिससे कि लोगों को गुमराह कर पीएमसी को जुर्माने से बचाया जा सके और एक साल के ठेके को ढाई साल तक का कर दिया गया नए टेंडर से परहेज कर रहे अभियंता।
नियम बताने वालों को लगाया ठंड में स्मार्ट सिटी की महिला डिप्टी टाउन प्लानर ने काम मांगा तो तीन महीने से बिना काम के नगर निगम में उपस्थिति दर्ज करवाई जा रही है। पूर्व में टीम लीडर द्वारा नियम कायदे पालना करवाई गई तो टीम लीडर कोई हटा दिया गया। अनुभवहीन टीम लीडर से काम चलाया जा रहा है। अभियंताओं का कार्य विभाजन भी चहेते ठेकेदारों के अनुसार कर दिया जाता है।