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कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह की नियुक्ति को लेकर लक्ष्मीनारायण बैरवा ने अक्टूबर 2018 में राजस्थान हाईकोर्ट में दायर याचिका में बताया था कि एडीएस यूनिवर्सिटी एक्ट में किए गए संशोधन यूजीसी रेग्यूलेंशंस-2010 के विपरीत हैं। कुलपति बनने के लिए दस साल यूनिवर्सिटी सर्विस में प्रोफेसर का अनुभव, नैतिकता और बेदाग छवि होनी जरूरी है। राज्य सरकार ने इन अर्हताओं को हटाते हुए यूनिवर्सिटी या कॉलेज में प्रोफेसर रहने के अनुभव को जोड़ दिया था। यह भी पढ़ें
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सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर
कुलपति नियुक्ति नियमों में हुए फेरबदल और राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को लेकर यूजीसी ने सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका दायर की है। इसको लेकर राजभवन, सरकार, महर्षि दयानंद सरस्वती और जयनाराण व्यवास विश्वविद्यालय को नोटिस जारी किया गए हैं।
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पहले लगाई थी रोक, फिर हटाई…हाईकोर्ट ने 11 अक्टूबर 2018 को नोटिस जारी कर कुलपति प्रो. सिंह के कामकाज पर रोक लगा दी। हाईकोर्ट ने 2 अगस्त तक रोक जारी रखी। पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस.रविंद्र भट्ट तथा न्यायाधीश विनित कुमार माथुर की खंडपीठ ने 18 सितंबर को बैरवा की याचिका खारिज कर दी। इसमें कहा गया था कि यूजीसी के रेग्यूलेंशंस अनुशंसित प्रकृति के है। राज्य या केंद्र के कानून से बनी यूनिवर्सिटी अपने वैधानिक अधिकारों के दायरों में उन्हें अपनाने या अपने कानून में संशोधन के बाद बदलाव करने के लिए सक्षम है।