मनीष कुमार सिंह अजमेर. जिसे औलाद की तरह पालपोश कर बड़ा किया अब उसको अपनी आंखों के सामने देश सेवा के लिए सौंप दिया। मकर सक्रांति पर यूं तो हर कोई किसी ना किसी तरह का दान करते हैं लेकिन जिला पुलिस में तैनात एक सहायक उपनिरीक्षक ने अपने जिगर के टुकड़े घोड़े ‘ तूफानÓ को देश व पुलिस सेवा के लिए समर्पित कर अनूठी मिसाल पेश की। मेडिकल टेस्ट व तीन माह की दस्तावेजी कार्रवाई के बाद पुलिस के बेड़े में शामिल घोड़े तूफान का अजमेर पुलिस लाइन में प्रशिक्षण शुरू हो चुका है।
जिला पुलिस की अश्व शाला में क्रॉस ब्रिड नस्ल के अश्व तूफान को बतौर दसवां सदस्य शामिल किया है। तूफान को सहायक उप निरीक्षक सुशील शर्मा ने पुलिस सेवा के लिए नि:शुल्क सौंपा है। पुलिस महानिदेशक एम.एल. लाठर ने 31 दिसम्बर 021 को तूफान को मेडिकल जांच व दस्तावेजी कार्रवाई के बाद पुलिस बेड़े में शामिल करने के आदेश दिए हैं। एसपी विकास शर्मा की ओर से गठित पशुपालन विभाग के मेडिकल बोर्ड ने तूफान की नस्ल, कदकाठी व स्वास्थ्य जांच के बाद तूफान को फिट करार दिया। मेडिकल टीम की ओर से फिट सर्टिफिकेट दिए जाने के बाद 8 जनवरी को तूफान को पुलिस बेड़े शामिल हो गया।
दसवां सदस्य है तूफान पुलिस की अश्वशाला ‘चेतकÓ में 9 सदस्य पहले से हैं। तूफान दसवें सदस्य के रूप में दाखिल हुआ है। उससे पहले सबसे अनुभवी अनुराधा के साथ मैथ्यू, साहिल, गजराज, तुषार, अरोमा, बोल्ट, लैला, पेज है। अरोमा, बोल्ट, लैला व पैज भी तूफान के हमउम्र है। उन्हें 2019 में पुलिस बेड़े में शामिल किया गया।
तीसरी पीढ़ी है तूफान
एएसआई सुशील शर्मा ने बताया कि उसके घर में तूफान की तीसरी पीढ़ी है। तूफान की नानी चिरमी उसके बाद उसकी मां बुलबुल उनके फार्म में रह चुकी है। तूफान के अलावा चिरमी, बुलबुल के कई संतान हुई लेकिन तूफान से परिवार व सुशील शर्मा की माताजी का लगाव था। उनके गांव जाने पर बुलबुल, तूफान उनके पीछे घूमते रहे थे।
एएसआई सुशील शर्मा ने बताया कि उसके घर में तूफान की तीसरी पीढ़ी है। तूफान की नानी चिरमी उसके बाद उसकी मां बुलबुल उनके फार्म में रह चुकी है। तूफान के अलावा चिरमी, बुलबुल के कई संतान हुई लेकिन तूफान से परिवार व सुशील शर्मा की माताजी का लगाव था। उनके गांव जाने पर बुलबुल, तूफान उनके पीछे घूमते रहे थे।
पशु प्रेम की अनूठी मिसाल शर्मा बताते हैं कि तूफान की मां बुलबुल का उनसे विशेष लगाव था। छुट्टी खत्म होने पर अजमेर के लिए जब रवाना हुए तो बुलबुल उसके पीछे आने के लिए रस्सी तोड़कर दीवार फांदने के प्रयास किया। दीवार भी लांघ गई लेकिन दोनों पैर जमीन पर सही नहीं टिकने पर गिरकर जख्मी हो गई। इस हादसे में जख्मी होने के बाद उसकी मौत हो गई। बुलबुल और फिर अपनी माताजी की मृत्यु के बाद उन्होंने तूफान को पुलिस को सौंपने का निर्णय कर लिया। ताकि वह देशसेवा कर सके।
दान हमेशा अनमोल यूं तो दान हमेशा अनमोल होता है लेकिन पुष्कर पशु मेले में खरीदारों ने तूफान का भी मोल लगाकर खरीदने का प्रयास किया लेकिन एएसआई शर्मा ने अपने जिगर के टुकड़े तूफान का बाजार में मोलभाव करने के बजाए पुलिस क सुपुर्द करना ज्यादा मुनासिब समझा। अब तूफान को जिला पुलिस के अश्व शाखा प्रभारी रूपसिंह उसे स्वयं प्रशिक्षित करने में लगे हैं। तीन माह तक तूफान का प्रशिक्षण चलेगा।