रामगंज, न्यू गोविन्द नगर निवासी ऊषा ने बताया कि उसकी बेटी योगेश का मेयो लिंक रोड स्थित होली फेमिली हॉस्पिटल में गर्भ धारण के बाद से उपचार चल रहा है। वह 30 मई शाम को चिकित्सक परामर्श के लिए होली फेमिली हॉस्पिटल गई थी। डॉ नीलम भम्बानी ने उसकी सोनोग्राफी लिख दी। रिपोर्ट आई तब तक महिला चिकित्सक घर जा चुकी थीं। उसे मंगलवार सुबह बुलाया। योगेश मंगलवार सुबह अस्पताल पहुंची तो डॉ. नीलम ने बच्चे की धड़कन नहीं होने की जानकारी देते हुए डीएनसी (गर्भपात) करवाने की सलाह दी। चिकित्सक के कहने पर योगेश और उसके परिजन ने गर्भपात की इजाजत दे दी। उसको भर्ती कर करीब एक घंटे तक ऑपरेशन थिएटर में रखा गया। इसके बाद शाम 6 बजे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। योगेश घर पहुंची तो अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई। वह टॉयलेट में गई तो भ्रूण का अवशेष बाहर आ गया। यह देख योगेश और उसके परिजन घबरा गए। परिजन का तर्क था कि जब सुबह चिकित्सक ने डीएनसी कर दी तो फिर योगेश के भ्रूण कहां से आया। परिजन ने देर रात अस्पताल पहुंचकर चिकित्सक व अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही बरतने व धोखाधड़ी का आरोप लगाया।
अस्पताल में हुई हाथापाई
अस्पताल में आरोप प्रत्यारोप के बीच दोनों पक्षों में हाथापाई की नौबत आ गई। महिला चिकित्सक डॉ. नीलम का आरोप था कि महिला के परिजनों ने उसके साथ मारपीट करते हुए उसके पर्स से 5 हजार रुपए निकाल लिए। जबकि योगेश सिसोदिया की मां ऊषा ने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए महिला चिकित्सक की ओर से हाथ छोड़ने व अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाया।
अस्पताल में आरोप प्रत्यारोप के बीच दोनों पक्षों में हाथापाई की नौबत आ गई। महिला चिकित्सक डॉ. नीलम का आरोप था कि महिला के परिजनों ने उसके साथ मारपीट करते हुए उसके पर्स से 5 हजार रुपए निकाल लिए। जबकि योगेश सिसोदिया की मां ऊषा ने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए महिला चिकित्सक की ओर से हाथ छोड़ने व अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाया।
सूचना मिलते ही सीओ दक्षिण सुनील सियाग, थानाप्रभारी श्याम सिंह मौके पर पहुंचे व समझाइश की। बाद में दोनों पक्ष थाने पहुंचे। अजमेर विधायक अनिता भदेल ने थाने पहुंचकर दोनों पक्षों से आपसी बातचीत व समझाइश का प्रयास किया। अस्पताल में हंगामे की सूचना पर डा. अशोक मेघवाल, अस्पताल प्रबंधन से भी कई लोग अलवर गेट थाने पहुंचे। पुलिस ने दोनों पक्ष की रिपोर्ट लेकर भ्रूण को जवाहरलाल नेहरू अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया।
इनका कहना है….
महिला की सोनोग्राफी के मुताबिक 9 सप्ताह का बच्चा था। रिपोर्ट के मुताबिक यूटरस दो भाग में था तो महिला को डीएनसी की सलाह दी। सोनोग्राफी के अनुसार डीएनसी कर दी गई। उसको तकलीफ होने पर पुन: अस्पताल आने की भी सलाह दी गई थी लेकिन परिजन ने अभद्रता करते हुए मारपीट की। मेरी गर्दन में चोट आई है। मेरे पर्स से 5 हजार रुपए निकाल लिए गए।
महिला की सोनोग्राफी के मुताबिक 9 सप्ताह का बच्चा था। रिपोर्ट के मुताबिक यूटरस दो भाग में था तो महिला को डीएनसी की सलाह दी। सोनोग्राफी के अनुसार डीएनसी कर दी गई। उसको तकलीफ होने पर पुन: अस्पताल आने की भी सलाह दी गई थी लेकिन परिजन ने अभद्रता करते हुए मारपीट की। मेरी गर्दन में चोट आई है। मेरे पर्स से 5 हजार रुपए निकाल लिए गए।
डॉ. नीलम भम्बानी, स्त्रीरोग विशेषज्ञ
डीएनसी करने व दिनभर अस्पताल में रखने के बाद शाम को घर पहुंचने पर बेटी की तबीयत बिगड़ गई। कुछ देर बाद भ्रूण निकला तो अस्पताल पहुंचकर महिला चिकित्सक से पूछा कि फिर उन्होंने क्या किया। इस पर उन्होंने अभद्रता करते हुए हाथ छोड़ दिया। हमें इंसाफ चाहिए।
ऊषा, विवाहिता की मां
डीएनसी करने व दिनभर अस्पताल में रखने के बाद शाम को घर पहुंचने पर बेटी की तबीयत बिगड़ गई। कुछ देर बाद भ्रूण निकला तो अस्पताल पहुंचकर महिला चिकित्सक से पूछा कि फिर उन्होंने क्या किया। इस पर उन्होंने अभद्रता करते हुए हाथ छोड़ दिया। हमें इंसाफ चाहिए।
ऊषा, विवाहिता की मां