राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत वर्ष 2016-17 में भारत सरकार की ओर से ‘मांÓ एक संकल्प का कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसके तहत गर्भवती महिलाओं/धात्री/प्रसूताओं को इस बात के लिए प्रेरित किया जाएगा कि बच्चे के जन्म लेने के एक घंटे के दौरान उसे स्तनपान कराया जाए। इस कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से आशा सहयोगिनी के माध्यम से प्रत्येक तीन माह में गर्भवती महिलाओं की बैठक आयोजित की जाएगी। इनमें आशाएं एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ता बच्चे के जन्म के एक घंटे में स्तनपान के बारे में जानकारी एवं फायदे बताए जाएंगे।
यह हैं फायदे जन्म के एक घंटे में बच्चे को स्तनपान कराने से बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सकेगा। इससे बच्चे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। निमोनिया, दस्त, उल्टी आदि बीमारियों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।
20 फीसदी मृत्यु की संभावना कम शिशु मृत्यु दर को रोकने के लिए एक घंटे के अंतराल में स्तनपान कारगर साबित हो रहा है। इससे 20 प्रतिशत मृत्यु की संभावना कम हो जाती है।
राज्य में अभी यह स्थिति संस्थागत प्रसव के तहत राज्य में अभी तक बच्चे के जन्म के एक घंटे के अंतराल में स्तनपान कराने के मामले में देश एवं राज्य की स्थिति 54 प्रतिशत है। जबकि देशभर में यह मात्र 44.6 प्रतिशत ही है। इस कार्यक्रम के बाद विभाग का प्रयास है कि इसे 70 से 80 प्रतिशत तक बढ़ाया जाए।
छह माह तक सिर्फ मां का दूध विभाग का प्रयास रहेगा कि बच्चे को जन्म के बाद करीब छह माह तक मां का दूध ही पिलाया जाए। जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रामलाल चौधरी ने बताया कि मां एक संकल्प कार्यक्रम को लेकर तैयारियां कर ली गई है। जन्म के एक घंटे में ब्रेस्ट फीडिंग के लिए गर्भवती महिलाओं में जागरूकता के प्रयास किए जाएंगे।