कैलाशवती आंचलिक महाविद्यालय बदनोर ने विश्वविद्यालय से सम्बद्धता के लिए 12 दिसंबर 2018 को आवेदन किया था। बाकायदा 70 हजार रुपए फीस जमा कराई थी। साथ ही कॉलेज शिक्षा निदेशालय से जारी एनओसी 17 सितंबर 2019 को विश्वविद्यालय में भेज दी। इसके बाद विवि द्वारा गठित निरीक्षण दल ने दौरा कर बीते साल 16 दिसंबर को रिपोर्ट दी।
अब जारी हुआ सम्बद्धता पत्र विश्वविद्यालय की सम्बद्धता समिति की 14 मई 2020 को बैठक हुई। समिति ने अस्थाई सम्बद्धता के लिए फाइल कुलसचिव के जरिए रामपाल सिंह (निलंबित कुलपति) को भेज दी। रामपाल उस फाइल को दबाकर बैठ गया। इस बीच रामपाल घूसकांड में एसीबी के हत्थे चढ़ गया। पंजाब के राज्यपाल वी.पी.सिंह के कस्बे का कॉलेज होने के अलावा राजभवन और सरकार के निर्देश पर विवि ने पिछले दिनों सम्बद्धता पत्र जारी किया।
यूं घूमा घटनाक्रम त्रिवेदी नगर जयपुर निवासी एस.के.बंसल ने 15 जून को एसीबी को लिखित रिपोर्ट दी। उसने बताया कि 25 मई 2020 को रणजीत सिंह (मो-7599347117) ने फोन कर विवि में मिलने बुलाया। वह 26 मई को रणजीत से मिला तो उसने फाइल पर कुलपति (रामपाल सिंह) की स्वीकृति के लिए दो लाख रुपए की मांग की। उसने वीडियो कॉलिंग के लिए फोन (9837755554) भी दिया। 4 जून को भीलवाड़ा के उप जिला प्रमुख रामचंद्र सेन ने रामपालसिंह को फोन कर कहा कि पंजाब के राज्यपाल वी.पी.सिंह बदनोर चाहते हैं कि कॉलेज को सम्बद्धता दी जाए। लेकिन इसके बावजूद कुछ नहीं हुआ।
मालूम हो कि 7 सितंबर को आर. पी. सिंह के निवास पर एसीबी ने उसके दलाल रणजीत को निजी कॉलेज संचालक महिपाल से 2.20 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा। बाद में रामपाल को भी गिरफ्तार किया गया।
सरकार और राजभवन के निर्देशानुसार कैलाशवती आंचलिक महाविद्यालय बदनोर को सम्बद्धता पत्र जारी किया गया है। डॉ. सूरजमल राव, सहायक कुलसचिव एकेडेमिक विभाग