महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के निलंबित कुलपति रामपाल सिंह की गिरफ्तारी पर पेश किए एसीबी के जवाब पर सोमवार को विशेष अदालत में बहस होगी। एसीबी ने निलंबित कुलपति कुलपति की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर 16 सितंबर को जवाब दिया था।
निलंबित कुलपति रामपालसिंह की आरे से विशेष अदालत में वकील अजय वर्मा की ओर से प्रार्थना पत्र दायर किया था। इसमें बताया कि उसके खिलाफ दर्ज की प्राथमिकी अनुचित है। उसने गिरफ्तारी पूर्व अधिनियम की धारा 17 के प्रावधानों की पालना नहीं करने की आपत्ति लगाते हुए खुद को शिक्षक और कुलपति जैसे सम्मानित पद पर होना बताया।
दिया अधिनियम का हवाला
एसीबी ने जवाब में अधिनियम 17 (क) परंतुक का हवाला दिया है। इसमें बताया कि किसी व्यक्ति को अपने लिए या अन्य व्यक्ति के लिए असम्यक लाभ प्राप्त करने या करने की कोशिश के आरोप में मौके से ही गिरफ्तार किया जाताा है। तो ऐसी स्थिति में सक्षम अधिकारी से पूर्व अनुमोदन जरूरी नहीं है। प्रकरण में आरोपित रामपालसिंह को कुलपति आवास से रिश्वत राशि प्राप्त करने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
एसीबी ने जवाब में अधिनियम 17 (क) परंतुक का हवाला दिया है। इसमें बताया कि किसी व्यक्ति को अपने लिए या अन्य व्यक्ति के लिए असम्यक लाभ प्राप्त करने या करने की कोशिश के आरोप में मौके से ही गिरफ्तार किया जाताा है। तो ऐसी स्थिति में सक्षम अधिकारी से पूर्व अनुमोदन जरूरी नहीं है। प्रकरण में आरोपित रामपालसिंह को कुलपति आवास से रिश्वत राशि प्राप्त करने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
यह है मामला
गौरतलब है कि कुलपति आवास पर 7 सितंबर को एसीबी ने आरोपित रणजीत सिंह को आरोपित महिपाल सिंह से सुरेश की कॉलेज राहुल मिर्धा इंजीयिरिंग कॉलेज झुंझाला को परीक्षा केंद्र बनाने की एवज में 2.20 लाख रुपए लेते पकड़ा था। आरोपित रामपाल सिंह के लिए राशि लेने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। रिश्वत राशि मांग का सत्यापन परिवादी एस.के. बंसल और निलंबित कुलपति रामपाल के मध्य 25 जून 2020 को आमने-सामने विश्वविद्यालय में ही वार्ता से किया गया। इसका उल्लेख प्राथमिकी में है।
गौरतलब है कि कुलपति आवास पर 7 सितंबर को एसीबी ने आरोपित रणजीत सिंह को आरोपित महिपाल सिंह से सुरेश की कॉलेज राहुल मिर्धा इंजीयिरिंग कॉलेज झुंझाला को परीक्षा केंद्र बनाने की एवज में 2.20 लाख रुपए लेते पकड़ा था। आरोपित रामपाल सिंह के लिए राशि लेने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। रिश्वत राशि मांग का सत्यापन परिवादी एस.के. बंसल और निलंबित कुलपति रामपाल के मध्य 25 जून 2020 को आमने-सामने विश्वविद्यालय में ही वार्ता से किया गया। इसका उल्लेख प्राथमिकी में है।