scriptवीडियो : यहां महिलाएं बच्चों के साथ करती हैं यह काम, फिर भी नहीं मिलते पूरे पैसे | Video: Here women do this work with children 10101 | Patrika News
अजमेर

वीडियो : यहां महिलाएं बच्चों के साथ करती हैं यह काम, फिर भी नहीं मिलते पूरे पैसे

शहर में कई महिलाएं ऐसी हैं जो दिनभर गोटा भरने का काम करती हैं जिसमें उनका पूरा परिवार जुटा रहता है। खास तौर से परिवार के सभी बच्चे उनका हाथ बंटाते हैं। विडंबना यह कि महिलाओं को जहां हुनरमंद होने के बावजूद समुचित रोजगार और पर्याप्त पैसा नहीं मिल पाता वहीं बच्चों को स्कूल नहीं जाकर मां-बहनों का हाथ बंटाने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है।

अजमेरJan 18, 2022 / 04:57 pm

युगलेश कुमार शर्मा

वीडियो : यहां महिलाएं बच्चों के साथ करती हैं यह काम, फिर भी नहीं मिलते पूरे पैसे

वीडियो : यहां महिलाएं बच्चों के साथ करती हैं यह काम, फिर भी नहीं मिलते पूरे पैसे

युगलेश शर्मा.

अजमेर. यह ऐसी महिलाएं हैं जिनमें हुनर है। इसी हुनर के बूते वे व्यवसाय भी करना चाहती हैं और अपने बच्चों को पढ़ाना भी। लेकिन संसाधनों की कमी आड़े आती है। खुद के काम से कमाई इतनी नहीं हो पा रही कि घर का खर्च ठीक से चला सकें। ऐसे में इनके बच्चे शिक्षा से भी वंचित हैं।
अजमेर के ताराशाह इलाके में ऐसे कई परिवार हैं जिनकी महिलाएं जो गोटा भरने का कार्य कर रही हैं। लेकिन इस काम में तीन-चार दिन की कड़ी मेहनत के बाद 50 से 80 रुपए ही मेहनताना मिल पाता है। पति बेलदारी करते हैं। इससे जैसे-तैसे वे रोटी का प्रबंध तो कर पा रही हैं लेकिन अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पा रहीं। कुछ बच्चे तो ऐसे हैं जिन्हें यह तक नहीं पता कि स्कूल क्या होता है।
बच्चे भी बंटाते हैं काम में हाथ

ताराशाह इलाके में ऐसी महिलाएं दिनभर गोटा बनाने के कार्य में जुटी रहती हैं। यहां तक कि बच्चे भी स्कूल जाना छोड़कर अपनी मां-बहनों के साथ गोटे का काम करते देखे जा सकते हैं।
हर घर में चार-पांच बच्चे

इन महिलाओं के प्रत्येक परिवार में चार-पांच बच्चे हैं। एक महिला ने बताया कि उसके बारह साल की एक बेटी सहित पांच बच्चे हैं। पांचों को ही वह स्कूल नहीं भेज पा रही है। हालात ऐसे कि बच्चों को स्कूल होता क्या है… पता ही नहीं।
यह हो तो सुधरें हालात. . .

-गोटा श्रमिकों के लिए संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।

-स्वयं सहायता समूह बनाकर स्वरोजगार से जोड़ा जाए।

-इनका हुनर तराशने के साथ इन्हें बाजार भी दिलाया जाए।
-बच्चों की शिक्षा का प्रबंध निकटवर्ती क्षेत्र में किया जाए।

-आंगनबाड़ी केंद्र खोलकर बच्चों के पोषाहार की व्यवस्था की जाए।

सरकार से मिले मदद तो बने बात

महिला रुखसार का कहना है कि उन्हें सरकार से किसी तरह के संसाधन मिल जाएं जिससे वह अपने कार्य को बढ़ा सकें। रुखसार ने कहा कि आमदनी अच्छी होगी तो परेशानियां दूर हो जाएंगी और बच्चों को पढऩे के लिए भी भेज सकेंगी। आधा किलो गोटा भरने में करीब चार-पांच दिन लग जाते हैं। सरकारी मदद से वह चाहती हैं कि यह कार्य एक-दो दिन में ही पूरा हो जाए।

किसने क्या कहा

एक हजार रुपए महीने के मिलते हैं। इतने में पूरा परिवार कैसे चलाएं। सरकार को हमारे बारे में कुछ सोचना चाहिए।

– गुलबहार

मेरे छह बच्चे हैं। गोटा बनाते हैं। तीन-चार दिन में 50-60 रुपए मिल पाते हैं। कुछ ऐसा हो कि मेहनत की समुचित मजदूरी मिले।
-तहुरा
इनका कहना है

ताराशाह इलाके में सर्वे करवा कर क्षेत्र में एक केंद्र खुलवाने की व्यवस्था की जाएगी। यहां उन लोगों को भी प्रशिक्षण दिया जा सकेगा जो अभी इस कार्य से नहीं जुड़े हैं।
-प्रह्लाद माथुर

जिला समन्वयक, कौशल विकास निगम

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