सरकार तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के ‘निरामया’ स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम के तहत राजकीय मेडिकल कॉलेज अजमेर, बीकानेर, जयपुर, कोटा, उदयपुर, जोधपुर, झालावाड़ के साथ जयपुर व उदयपुर के निजी मेडिकल कॉलेजों के तृतीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थियों की ओर से इस कार्यक्रम को अंजाम तक पहुंचाया जाएगा।
यह है कार्यक्रम का मकसद ग्रामीणों को स्वास्थ्य शिक्षा के प्रति जागरूक करना, जीवन शैली के तौर-तरीके बताना है ताकि स्वच्छता बनी रहे एवं लोगों को स्वस्थ रखना प्रमुख मकसद है। इससे स्वच्छ राजस्थान के सपने को पूरा किया जा सकेगा।
यह रहेंगे निरामया दिवस 26 सितम्बर, 24 अक्टूबर, 14 नवम्बर एवं 28 नवम्बर निरामया दिवस निर्धारित किए गए हैं। इन दिवसों में मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों की टीमें संबंधित गांवों में पहुंचेंगी। वृद्धजन के स्वास्थ्य की भी चिंता
इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में वृद्धजन की संख्या अधिक होने से उनके स्वास्थ्य की चिंता की गई है। वृद्धजन में डायबिटीज, मानसिक रोग, कैंसर, अंधापन आदि के इलाज व स्वास्थ्य शिक्षा पर जोर दिया जाएगा।
इन दस थीम पर जागरुकता अभियान निरामया की थीम दस बिन्दुओं पर केन्द्रित रहेगी। पर्यावरण स्वच्छता, व्यक्तिगत स्वच्छता, बैक्टेरिया जनित बीमारियों पर नियंत्रण, बच्चों का पोषण, ग्रोथ विकास, टीकाकरण, किशोर स्वास्थ्य, मातृ स्वास्थ्य, संस्थागत प्रसव को बढ़ावा, वृद्धजन केयर प्रमुख हैं।
प्रथम चरण में 50 हजार से एक लाख जनसंख्या पर फोकस अजमेर जिले में मेडिकल कॉलेज के 3 एवं 4 सेमेस्टर में करीब 150 विद्यार्थी हैं। पहले चरण में करीब 50 गांवों का चयन किया गया है। जिनकी कुल जनसंख्या करीब एक लाख तक है।
निरामया कार्यक्रम के अन्तर्गत मेडिकल कॉलेज के तृतीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थियों की 50 टीमें बनाकर इतने ही गांवों में प्रथम चरण में सर्वे कर स्वच्छ एवं स्वस्थ राजस्थान के प्रति जागरूकता का प्रयास किया जाएगा।
-डॉ. रामलाल चौधरी, आरसीएचओ