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पाकिस्तानी जत्थे पर मंडराया ये गंभीर संकट, मुश्किल है इस बार ख्वाजा साहब उर्स में शामिल होना

locationअजमेरPublished: Mar 06, 2018 04:44:34 pm

Submitted by:

raktim tiwari

ऐसा तब है जबकि उर्स की शुरुआत मार्च के दूसरे पखवाड़े में होगी।

pakistani pilgrims in ajmer

pakistani pilgrims in ajmer

रक्तिम तिवारी/अजमेर।

सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के सालाना उर्स में पाकिस्तानी जत्थे के अजमेर पहुंचने की ‘राह Óआसान नहीं है। सुरक्षा कारणों से पाक जत्थे को अब तक वीजा नहीं मिल पाया है। जबकि इनके पासपोर्ट भारतीय दूतावास में भेजे जा चुका हैं। दूतावास से वीजा मिलने पर ही पाक जत्था उर्स में शामिल हो पाएगा।
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का सालाना उर्स मार्च के दूसरे पखवाड़े में शुरू होगा। इसमें कई बरसों से पाकिस्तानी जायरीन का जत्था शामिल होता रहा है। इसमें करीब 500 जायरीन पंजाब के अटारी रेलवे स्टेशन से विशेष ट्रेन द्वारा दिल्ली होते हुए अजमेर पहुंचते हैं। सुरक्षा कारणों अथवा सियासी हालात के चलते कई बार जत्था नहीं आया है। इस बार भी स्थिति कुछ ऐसी ही लग रही है।
दूतावास से नहीं मिला वीजा

गरीब नवाज के सालाना उर्स में शिरकत करने के लिए 450 से ज्यादा जायरीन ने भारतीय दूतावास में वीजा के लिए प्रार्थना पत्र दिए हैं। अधिकृत सूत्रों के मुताबिक फिलहाल दूतावास ने वीजा मंजूर नहीं किए हैं। इसके पीछे सुरक्षा कारणों का हवाला दिया गया है। ऐसा तब है जबकि उर्स की शुरुआत मार्च के दूसरे पखवाड़े में होगी। मालूम हो कि पिछले साल 402 पाक जायरीन उर्स में शामिल हुए थे। जत्था 2 से 8 अप्रेल तक यहां रहा था।
बंद हुई इस्तकबाल की परम्परा

उर्स में शामिल होने वाले पाक जायरीन का बरसों तक इस्तकबाल किया जाता था। वर्ष 1995-96 में तत्कालीन नगर परिषद के सभापति ने जत्थे के इस्तबकाल करने से इन्कार कर दिया था। तबसे यह परम्परा बंद हो गई है। बीते बीस साल में भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध विभिन्न मामलों को लेकर तनावपूर्ण भी रहे हैं। इनमें करगिल युद्ध, मुम्बई आतंकी हमला, पठानकोट और उरी हमला, कश्मीर में आतंकी गतिविधियां और अन्य मामले शामिल हैं।
यहां रुकता है जत्था
पाकिस्तानी जायरीन के जत्थे को पुरानी मंडी स्थित राजकीय केंद्रीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में ठहराया जाता है। यहां जिला प्रशासन और राज्य सरकार की तरफ से कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किए जाते हैं। जायरीन को अजमेर रेलवे स्टेशन से कड़ी सुरक्षा में बसों में बैठाकर स्कूल लाया जाता है। उनके अजमेर उर्स में रुकने तक खुफिया विभाग, पुलिस और इंटेलीजेंस के अधिकारी और जवान नजर रखते हैं। कई पाक जायरीन के बिना वीजा के पुष्कर, सरवाड़ पहुंचने पर उन्हें ब्लैक लिस्ट कर दिया जाता है।

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