गांव से आने-जाने में किराया व परेशानी है कारण रामदेव के पोते ने बताया कि सुबह आए लेकिन डॉक्टर साहब नहीं थे.. रात में यहीं परिसर के बाहर इसलिए सो रहे हैं ताकि सुबह जल्दी जाकर लाइन में लग जाएं और नम्बर आने पर समय पर इलाज मिल सके। बार-बार गांव आने-जाने से किराया लगता है.. आने-जाने की परेशानी अलग। दरी साथथें लाए हैं जिसे बिछाकर यहीं सो कर सुबह यूरोलॉजी अस्पताल में जाकर इलाज ले लेंगे।
रैन बसेरा भी उजड़ा, व्यवस्था नहीं अस्पताल में बना रैन बसेरा उजड़ चुका है। रात काटने को अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं है। जहां रैन बसेरा बना था वहां चिल्ड्रन वार्ड का नया भवन बन रहा है। न कोई भवन है न हॉल जहां मरीज रात काट सके। बेहतर होगा कि अस्पताल प्रशासन मरीज या परिजन के विश्राम के लिए कहीं कोई व्यवस्था कर पाए।