बीओबी ने बंदियों का रखा ख्याल जेल अधीक्षक प्रीति चौधरी ने बताया कि कारागार में बंदियों को समय देखने में समस्या होती थी, लेकिन बीओबी ने बंदियों की समस्या को ध्यान में रखते हुए घडिय़ा मुहैया करवाई। उन्होंने बताया कि रमजान में जेल की बैरक में रोजेदार को नमाज पढऩे व रोजा रखने व खोलने में समय की परेशानी होती थी। बंदी सुबह बार-बार वार्ड में पहेरे पर मौजूद प्रहरी से समय पूछते थे लेकिन अब प्रत्येक वार्ड में घड़ी मौजूद रहने से समय देखने में आसानी रहेगी। इससे बंदियों के समय का भी सदुपयोग हो सकेगा।
खोले थे 500 खाते जेल अधीक्षकचौधरी ने बताया कि दंडित बंदियों के पारिश्रमिक भुगतान के लिए प्रदेश में पहली बार किसी जेल में बंदियों के 500 बैंक खाते खोले गए। उन बंदियों को बैंक पासबुक भी दी गई है। अब बंदियों के जेल में मिलने वाला पारिश्रमिक खातों में जमा हो सकेगा। उससे उनके परिजन भी खाते से पैसा निकासी कर सकेंगे।