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तेज गर्मी में मंडराएगा पौधों का संकट, पानी का बंदोबस्त चुनौती

locationअजमेरPublished: Mar 22, 2019 05:42:14 am

Submitted by:

raktim tiwari

www.patrika.com/rajasthan-news

water for plants

water for plants

रक्तिम तिवारी/अजमेर.

पिछले साल मानसून के दौरान लगाए पौधों पर तेज गर्मी में संकट मंडरागा। अव्वल तो पिछले साल पर्याप्त बरसात नहीं हो पाई। अब अप्रेल से जून के बीच पौधों के लिए पानी का बंदोबस्त करना मुश्किल होगा।
वन विभाग प्रतिवर्ष मानसून (जुलाई, अगस्त और सितम्बर) के दौरान अजमेर सहित किशनगढ़, ब्यावर, केकड़ी, पुष्कर, किशनगढ़ और अन्य वन क्षेत्रों में पौधरोपण कराता है। इनमें नीम, गुड़हल, बोगन वेलिया, अशोक, करंज और अन्य प्रजातियां शामिल हैं। यह पौधे अजमेर, ब्यावर, खरवा, पुष्कर और अन्य नर्सरी में पौधे तैयार कराए जाते हैं। इसके बाद वन क्षेत्रों में इन्हें लगाया जाता है। पिछले साल भी विभाग ने स्वयं सेवी संस्थाओं, स्कूल, कॉलेज, स्काउट-गाइड, राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवकों की सहायता से जिले में पौधरोपण कराया। पिछले साल अगस्त में ही मानसून सुस्त पड़ गया। इसके चलते मात्र 358.51 मिलीमीटर बरसात ही हो पाई।
गर्मी में बढ़ेगा संकट

जिन पौधों ने जड़ें नहीं पकड़ीं उन पर संकट मंडरा चुका है। वन क्षेत्र में लगने से वहां तक पानी का इंतजाम करना चुनौती है। विभाग के अधीन वन क्षेत्रों में पहाडिय़ां भी हैं। कई क्षेत्रों में पानी के टैंकर नहीं पहुंच सकते हैं। ऐसे में कई पौधे तेज धूप और गर्मी में खराब हो सकते हैं।
नहीं चलते 50 प्रतिशत पौधे
पर्याप्त बरसात और तेज गर्मी से 40 से 50 प्रतिशत पौधे पानी के अभाव में दम तोड़ देते हैं। मार्च में ही अधिकतम तापमान 29 से 31 डिग्री के बीच बना हुआ है। अप्रेल से जून के बीच गर्मी में पौधों को बचाए रखना विभाग के लिए चुनौती है।
वरना हरा-भरा होता अजमेर

वन विभाग और सरकार बीते 50 साल में विभिन्न योजनाओं में पौधरोपण करा रहा है। इनमें वानिकी परियोजना, नाबार्ड और अन्य योजनाएं शामिल हैं। इस दौरान करीब 30 से 40 लाख पौधे लगाए गए। पानी की कमी और सार-संभाल के अभाव में करीब 20 लाख पौधे तो कम बरसात और पानी की कमी से सूखकर नष्ट हो गए। कई पौधे अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए।

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