पुराना शहर में बागरियों की घाटी में एक ही समाज के करीब 30 घरों की आबादी है। यहां के लोग पानी के लिए सिर्फ एक हैंडपंप पर ही निर्भर है। हालांकि यहां पर बरसों पुरानी पाइप लाइन बिछी हुई है, लेकिन ऊंचाई होने के कारण यहां तक पानी नहीं पहुंचता। जलदाय विभाग की ओर से कुछ माह पहले नई लाइन बिछा दी गई है, लेकिन अभी तक उसमें से कनेक्शन आदि नहीं दिए गए हैं।
इस कारण पूरी बस्ती के लोग सिर्फ एक हैंडपंप के भरोसे हैं। गर्मी बढऩे के साथ ही पानी की मांग भी बढ़ती जा रही है। इससे सुबह चार से रात 10 बजे तक हैंडपंप पर पानी भरने वालों की भीड़ लगी रहती है।
रात-दिन चलने के कारण हैंडपंप भी जल्दी-जल्दी खराब हो जाता है। ऐसी स्थिति में क्षेत्रवासियों को सरवाड़ी गेट पर आकर पानी भरकर ले जाना पड़ता है। इससे क्षेत्रवासियों को काफी परेशानी होती है।
बच्चों के ऊपर पानी भरने की जिम्मेदारी
बच्चों के ऊपर पानी भरने की जिम्मेदारी
बागरियों की घाटी में रहने वाले अधिकांश लोग सुबह ही काम के लिए घर से निकल जाते हैं। ऐसे में पानी भरने की जिम्मेदारी बच्चों की होती है। वह अपनी क्षमता के अनुसार बर्तनों में पानी भरकर ले जाते हैं।
आज तक नहीं आया पानी पाइप लाइन कई वर्षों पहले की बिछी हुई है, लेकिन उसमें आज तक पानी नहीं आया। यह क्षेत्र ऊंचाई पर होने के कारण पानी चढ़ता ही नहीं है। इस कारण एक हैंडपंप पर ही निर्भर रहना पड़ता है।
राजूसिंह नरूका, क्षेत्रवासी बस्तियों से मांगना पड़ता है पानी
हैंडपंप खराब होने की स्थिति में अन्य कोई साधन नहीं होने के कारण नीचे बस्ती में से पानी मांगकर लाना पड़ता है। ऊंचाई होने के कारण आवाजाही में भी काफी परेशानी होती है।
हैंडपंप खराब होने की स्थिति में अन्य कोई साधन नहीं होने के कारण नीचे बस्ती में से पानी मांगकर लाना पड़ता है। ऊंचाई होने के कारण आवाजाही में भी काफी परेशानी होती है।
प्रेमदेवी बागरिया, क्षेत्रवासी